अलवर : साथी से मिस्फील्डिंग हो गई है तो ज्यादा प्रतिक्रिया देकर उसे ओवर थ्रो में ना बदलें

क्रिकेट पर एक पोस्ट डाल रहा हूँ. मेरी पोस्ट, ज़ाहिर है जिस बात से शुरू होती है, उसी पर नहीं रहती…तो कृपया आखिर तक पढ़ें..
मैं कॉलेज में अपनी क्लास टीम का विकेटकीपर था, छठे सातवें नंबर पर थोड़ी आड़ी तिरछी बैट भांज लेता था. बहुत अच्छा खिलाड़ी नहीं था, पर हिम्मत नहीं हारता था.

एक मैच याद है मुझे, 25 ओवर का मैच था जूनियर बैच से. पहली इनिंग में बैटिंग करते हुए आखिरी ओवर खेल रहे थे, मैं और हरिकिशोर राय.

बौलिंग कर रहा था ओपोनेंट टीम का कप्तान. फ़ास्ट बॉलर था, हम दोनों बैट्समैन टैलेंडर. तो पहले 5 गेंदों में कुल 3-4 रन बने. आखिरी गेंद हरि ने खेली. गेंद शॉर्टलेग तक गई. कोई और बॉल होती तो कोई रन नहीं बनता, पर आखिरी बॉल थी तो हम एक रन के लिए दौड़ पड़े.

फील्डर ने रन रोकने के लिए हड़बड़ी दिखाई तो बॉल मिस्फील्ड हो गई. तो मैंने दूसरे रन के लिए भी कॉल कर दी और दौड़ पड़ा. फील्डर ने नॉन-स्ट्राइकर एंड पर बॉल फेंकी, पर बॉलर कप्तान फील्डर को गालियाँ दे रहा था, तो बॉल उससे भी छूट गयी.

उसने सोचा नहीं था कि हम तीसरे रन के लिए दौड़ पड़ेंगे, पर आखिरी बॉल थी तो क्या आना जाना था. हमने तीन रन ले लिए, फील्डर ने बॉल पकड़ी और धीरे से फेंका, जिसे किसी ने नहीं उठाया और कप्तान आग बबूला होकर फील्डर्स को ढीली फील्डिंग पर गलियाँ निकाल रहा था.

बॉल पिच पर पड़ी थी, और मैंने चौथे असंभव रन के लिए आवाज लगा दी. गुस्से से पागल कप्तान ने बॉल उठाया और स्ट्राइकर एंड की तरफ दौड़ा. गुस्से में पूरी ताकत से बाल को 4 फ़ीट दूर से विकेट पर मारा… बैट्समैन का आधी पिच तक अता पता नहीं था, पर बॉल विकेट को मिस कर गयी. विकेटकीपर भी तैयार नहीं था.

उधर फाइन लेग के फील्डर को समझ मे नहीं आया कि क्या हो रहा है, तो वह आकर लेग अंपायर से बातें करने लगा. जब सनसनाती हुई बॉल उसके बगल से गुजरी तो वह सिर्फ कूद कर अपनी टाँग बचा पाया और ओवर थ्रो के चार रन और मिले…

क्या कॉमिकल सीन था… स्कोरर और अंपायर को समझ मे नहीं आ रहा था कि हो क्या रहा है… और जो मिस्फील्डिंग कि वजह से एक रन होता वह फील्डिंग टीम की अव्यवस्था और कैप्टन के गुस्से की वजह से आठ रन हो गया…

अब आते हैं अलवर की घटना पर… अगर आपको लगता है कि अपने एक साथी से मिस्फील्डिंग हो गई है तो ज्यादा प्रतिक्रिया देकर उसे ओवर थ्रो में ना बदलें… दिमाग ठंडा रखें…

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