कटने वाला बकरा नहीं, काटने वाला परशुराम बनिए

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बहुत जगह से खबर मिल रही कि फलाने-फलाने गाँव में झड़प हुई हैं.. या झड़प होते-होते बची हैं. .. फलाने गाँव के मस्जिद में ढेर सारे में हथियारों के जखीरे मिले हैं.

सुरही में तो तीन अलग-अलग जगह पर पेट्रोल बम सहित बहुत हथियार जब्त किये गए हैं.. और ईंट पत्थर इतने कि कोई हिसाब नहीं. .. तिरला गाँव के मस्जिद में भी टेकर भरकर हथियार बरामद किये गए हैं, गोविंदपुर में भी ऐसा हुआ है .. पिछले साल के रामनवमी में हजारीबाग में कुछ शांतिदूत बम बनाते हुए अल्लाह को प्यारे हो गए थे.. पूरे हजारीबाग शहर को दहलाने की साजिश थी.

इसी तरह पूरे भारत से भी न्यूज हैं.

अब बात आती है हिंदुओं के ऊपर! … तुम्हारे पास कौन से हथियार हैं और कितने हैं? .. और कितना चलाना जानते हो? सच कहूँ तो आपके घर में ढंग का एक डंडा भी नहीं हैं!! पुराने जंग लगे तलवार फरसा निकाल के फोटो खिंचवाने में माहिर हुए जा रहे हो!! ..

घर के लोग लफ़ड़े से दूर रहने की हिदायत देते हैं, खून खराबे से दूर रहने की सलाह देते हैं, अहिंसा का पाठ पढ़ाते हैं. और यही बिन हथियार के लोग नपुंसक हो भाई-चारा का पाठ पढ़ाते नज़र आते हैं…

अबे गधों जब तुमसे कुछ नहीं हो पा रहा हैं तो मूकदर्शक हो कर तमाशा देखो ज्ञान मत पेलो भाई-चारे की. .. चार समुदाय विशेष के लोग हाथ में तलवार ले के घूम लिये तो बीवी-बच्चों समेत घर की चाहरदिवारी में कैद कर लेते हो!! .. फिर बाहर निकल कर अपने ही लोगों को दोष देते हुए भाई-चारे का पाठ पढ़ाना शुरू कर देते हो!!

गांधी बाबा सिखा गए अहिंसा परमो धर्मः .. और फलस्वरूप पाकिस्तान और बांग्लादेश दे गए! .. और अब उनके चेले हर गली-मोहल्ले में पनपते जा रहे हैं और इसके भी फलस्वरूप हर गली-मोहल्ला एक छोटा पाकिस्तान और बांग्लादेश बनता जा रहा हैं.

.. ऐसा कोई गाँव-कस्बा नहीं होगा जहाँ छोटा पाकिस्तान-बांग्लादेश न हो! .. पाकिस्तान में क्या है.. काफिर हिंदुओं को मौत के घाट उतारने वाले उनके हीरो हैं और काफिर हिंदुओं में से गाँधी, नेहरू जैसों अहिंसा के पुजारियों का मान सम्मान हैं. ..

वहीँ यहाँ भारत (इसे पूरी हिन्दू कम्युनिटी ही कहिये) में विदेशी आक्रांताओं के विरुद्ध लोहा लेने वालों का नाम लेने पर ‘भगवाकरण’ का आरोप इन अहिंसा के पुजारियों के द्वारा मढ़ दिया जाता हैं…

ये अहिंसा के पुजारी बंटवारें के समय भी पाकिस्तान और बांग्लादेश के खित्ते में खूब पाई जाती थी लेकिन अब नगण्य होने को चले हैं, बल्कि हो भी चुके हैं!! .. कभी कारण जानने की कोशिश की कि तुम्हारे ये अमनपसंदगी के पैरोकार कहाँ लुप्त हो गए?? ..

क्यों इसकी व्याख्या करते हुए आपकी अंतरात्मा मनाही करती हैं?? .. या सीधे-सीधे कह नहीं सकते क्या हमने अपनी दब्बूपन और नपुंसकता को ‘बुद्धिजीवी’ और झूठी अहिंसा की खाल से ढँक लिया हैं?!! … अगर तुम नपुंसक हो चुके हो तो दूसरों को भी मत बनाओ. .. अहिंसा का लबादा ओढ़े तुम्हें पाकिस्तान और बांग्लादेश से खदेड़ दिया गया हैं.. और अब तुम्हारे गल्ली-मोहल्ले में भी घुस आये हैं. .. अमा कहाँ तक भागोगे और कब तक बचोगे? .. आज तो किसी तरह छुप-छाप के जी लोगे लेकिन कल को तुम्हारे बच्चे गाजर-मूली की तरह जरूर कटेंगे!!

भाई-चारे और अमनपसंदगी के ठेकेदारों जरा बताओ कि हजारीबाग में ये शांतिदूत किसे मारने के लिए बम बना रहे थे? .. तिरला के मस्जिद में हथियार किसको काटने के लिए रखे थे? .. सुरही में पेट्रोल बम किसके ऊपर फोड़ने के लिए रखे थे??

याद रखो काटने टाइम ये नहीं देखते कि तुम सेकुलर हो कि भगवा !! .. उनके सामने केवल तुम काफ़िर और बुतपरस्त हो!! .. जिसको सुन्नत में लाना उसका काम हैं! .. अगर आ गए तो ठीक नहीं तो तुम्हें मारकर जन्नती बन 72 हूरों का मजा तो ले ही सकते हैं.

किस गफलत में जी रहे हो भाईयों… भाई-चारे का नाटक छोड़ो… अब तुम प्रशासनिक सुरक्षा में भी अपने परब-त्यौहार ढंग से मना नहीं पा रहे हो! .. तो अकेले क्या ख़ाक मनाओगे!? .. अगर यही चलता रहा तो तुम भाई-चारे के भयंकर पैरोकार ये पूजा-पाठ और परब-त्यौहार भी मनाना छोड़ दोगे, क्योंकि इससे भाई-चारे में खटास आती है, दरार पड़ती है, अपने विशेष भाइयों के सेंटीमेंट को हर्ट करती हैं! ..

कोई आश्चर्य नहीं भैया कि तुम ये सब भी छोड़ दो! .. बल्कि छोड़ भी रहे हो! .. सेकुलर बनने का कारण ज्यादा पढ़ा-लिखा या भाई-चारा कायम करने हेतु नहीं हैं बल्कि इसके पीछे इससे  मुकाबला न करने की डरपोक मानसिकता हैं.

जागो, चेतो, सचेत होवो, पानी मारकर आँखें खोल कर देखो.. नहीं तो आपका गाँव पाकिस्तान, कश्मीर बनता जा रहा है. .. अभी काटने को सजग नहीं रहोगे तो कल को तुम्हारे बच्चे जरूर कटेंगे ऊपर से ना सही लेकिन नीचे से जरूर…

अपनी आने वाली पीढ़ी को कटने वाला बकरा नहीं वरन काटने वाला परशुराम बनाओ.

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