पैसे लेकर भी टिकट नहीं देने के जुर्म में एक महिला ने संजय सिंह को एक थप्पड़ जड़ दिया लेकिन किसी भी मर्द ने अभी तक कृष्ण की भूमि पे रहकर कृष्ण को गाली देने का दुस्साहस करने वाले को एक थपकी तक नहीं लगाई?
क्या यह धरती हिंदू वीरों से शून्य हो गई है? या हर कोई बस “चाणक्य” बनकर “चन्द्रगुप्त” को ढूंढ रहा है क्रांति करवाने के लिए?
स्वयं विष्णु अवतार श्रीराम द्वारा शिव धनुष भंग कर देने पर भार्गव परशुराम सीधे भगवान् से लड़ने जा पहुचे थे.
उन्ही के वंशज आज बात-बात पर परशुराम जी का नाम लेने वाले बाहुबली ब्राह्मण कौन से शांतिमंत्र के जाप में समाधिस्थ है जबकि एक दुष्ट इरादतन उन श्रीकृष्ण को गालियां बक रहा है जिन्हें ब्राह्मण सर्वाधिक प्रिय थे, जिनकी झूठी पत्तलें उठाई थी गिरिराज उठाने वाले ने?
क्या जंग लग गया है मेवाड़ के उन राजपूतों के शौर्य को जिनके पूर्वज एक झटके में हाथी को और एक वार में घोड़े सहित सवार को दो भागो में विभक्त कर देते थे?
क्या राजपूतो को अब धर्म विरोधियों पर क्रोध नहीं आता?
क्या “जो दृढ़ राखे धर्म को ताहि राखे करतार” पर आपको विश्वास नहीं रहा?
सवा लाख से एक लड़ने वाला, सनातन धर्म के लिए बिना एक क्षण गंवाए शीश अर्पण कर देने वाला, दीवार में जीवित चुन दिया जाने वाला वीर खालसा अब बस खालिस्तान के लिए ही शस्त्र उठाएगा?
जाटो को बस कान्हा को घी डालकर खिचड़ी खिलाने भर से मुक्ति मिल जायेगी?
कहाँ है आज वो गुर्जर जो आरक्षण के लिए पूरे राष्ट्र का चक्का जाम करके हजारों जिंदगियों को दांव पर लगाकर रेलवे ट्रैक पर लेट जाते थे?
क्या अब कान्हा में उन्हें गुर्जर नहीं दीखता?
कहाँ है आज वीर मराठे जिनको हिंदुआ सूर्य होने का गौरव है? क्या उनके शस्त्र भी मात्र गैर मराठियों पर पराक्रम सिद्ध करने के लिए ही अभिमंत्रित होते है?
कहाँ है आज वो ठाकरे परिवार जिसकी एक दहाड़ से हिन्दू विरोधियों के कपड़े नम हो जाया करते थे?
कहाँ है आज वो दक्षिण के सुपर हीरो जो जलिकुट्टु के समय न्यायालय एवं सरकार के सामने अड़ गए और उन्हें झुकने पर विवश कर दिया था?
क्या उनके गोपालन, पद्मनाभ, वेंकटेश, वेणुगोपाल, कृष्णामाचारी का इस उत्तर भारतीय कान्हा से कोई लेना देना नहीं है?
कहाँ है वो सौ हाथियों के बल से विभूषित यूपी और बिहार के युवा जिनकी ओर कोई जरा ठहर के देख भर ले तो वे उसकी आँखे निकाल लेते है?
क्या उनकी ये अतुलित शक्ति कान्हा का अपमान इतनी सहजता से स्वीकार कर लेगी?
कहाँ है वो नागा साधुओ की अद्भुत सेना जो कुम्भ में स्नान के अधिकार को लेकर रक्त से स्नान कर लेना श्रेष्ठ समझती है?
क्या उनके आराध्य शिव के ह्रदय में आज तीव्र वेदना नहीं उठ रही होगी जहां कल्पों से “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का अखंड जप चल रहा है?
क्या आपके अद्भुत हथियार, अद्भुत वेश और करतब केवल सामान्य लोगों को भयभीत करने मात्र के लिए ही भूषित है?
आखिर मे अब बात मेरी तो… “मैं शपथपूर्वक कहता हूं कि जीवन मे जब भी, जहाँ भी ये दुष्ट मुझे मिल गया, वहीँ इसके दूषित दिमाग को दो करतल ध्वनियों के साथ निर्विचार एवं निर्विकार कर दूंगा. फिर आगे चाहे जो भी परिणाम भुगतना पड़े. और हां विडियो आप सभी को शेयर करूँगा यह भी निश्चित है.”
“भय बिन होय न प्रीत”
“”जय श्री कृष्ण””