योगीराज श्री कृष्ण का चरित्र हनन कुछ टुच्चे रीतिकालीन कवियों ने मुगलों को प्रसन्न करने के लिए किया अन्यथा वे मात्र 7 वर्ष की अवस्था में तो गोकुल छोड़ चुके थे…
भगवान कृष्ण की जिन लीलाओं को दुष्ट कवि या प्रशांत भूषण छेड़खानी कहते हैं, वे उस युग का एक आंदोलन था…. यथा –
चीरहरण लीला – इस प्रसंग में बाल कृष्ण यमुना में स्नान करतीं गोपियों के वस्त्र लेकर कदंब के पेड़ पर चढ़ जाते हैं…. वस्तुतः ये उच्छृंखल गोपियों को अनुशासन सिखाने का प्रयास था….
नंगे शरीर स्नान करने की वैसे ही मनाही है, लेकिन गोपियाँ तो यहाँ सार्वजनिक स्थान पर नग्न स्नान कर रहीं थीं…. जबकि कंस के सैनिक चाहे जब चाहे जहां आ धमकते थे….
जो वस्त्र किनारे पर छोड़ रखे थे उन वस्त्रों को जब बालकृष्ण ले जा सकते थे, तब कोई भी दुष्ट प्रकृति के लोग भी तो ये काम कर सकते थे… बाल कृष्ण ने उन गोपियों से भविष्य में इस प्रकार कोई उच्छृंखलता ना करने का वचन ले, वे वस्त्र वापस कर दिये थे….
माखन लेकर जाती गोपियों की मटकी फोड़ना एक क्रान्ति थी…. बालकृष्ण द्वारा मटकी फोड़ना, कंस की उस आज्ञा ‘माखन मथुरा पहुंचाया जाएगा’ के खिलाफ विद्रोह था……
बालकृष्ण की और उनकी मोहक छवि की दीवानी गोपियों की आयु का अंतर ही तमाम चीजों को समझने के लिए पर्याप्त है….
5-6 वर्ष का तमाम अलौकिक शक्तियों से युक्त कोई बच्चा किसका मन नहीं मोह लेगा…. यदि किशोरी गोपियाँ उनके साथ खेलतीं थीं तो खेलने का मतलब केवल काम क्रीड़ा ही नहीं है….
कामक्रीड़ा कोई गैर जिम्मेदार घर का कोई लड़का करे तो करे…. लेकिन उस समय नन्द की उपाधि धारक घर का 5-6 साल बेटा कैसे कर सकता था वो भी सार्वजनिक और सामूहिक रूप से…… वो भी वह बच्चा जिसको कि माखन चोरी की शिकायत पर उसकी माँ ने ऊखल से बांध दिया हो….
रासलीला तो उस काल की नृत्यक्रीड़ा थी…. हर गोपी चाहती थी कि बालकृष्ण उसके साथ ही नृत्य करे तो बालकृष्ण ने अपनी यथा शक्ति सबके साथ नृत्य किया… गोपियाँ इतनी आनंद विभोर हो गईं कि उनको लगता रहा कि कान्हा बस उसी के साथ नाच रहा है….
ये था महारास!
युग परिवर्तन हो रहा था…. कई जन्मों के कई राजा को ऑब्लाईज करने या कन्याओं से शादी के कमिटमेंट थे, सो उन्होने वे कमिटमेंट पूरे करने के लिए आठ शादियाँ कीं….
ये तो भिन्न कथाओं से पता चल ही जाता है, लेकिन जो सोलह हजार रानी वाली बात भी तो सहज समझ आ सकती है कि अंततः नरकासुर की कैद में रही इन नारियों से कौन शादी करता….
सो कृष्ण जी ने गलीज जीवन जी रहीं सोलह हजार नारियों को अपनी पत्नी का दर्जा देकर ना केवल उनके पोषण का दायित्व लिया बल्कि उन सबको सम्मानपूर्ण स्थान भी दिलाया….
सृष्टिकलंक युगप्रदूषण प्रशांत भूषण क्या समझेगा श्रीकृष्ण जी की महिमा…. तेरे कान में तो पिघला हुया रांगा उड़ेलने या जीभ काटने की सजा का ही प्रावधान है….
लेकिन हम लाचार और नाकारा हैं सो ये सजा तुझे ना दे पाएंगे… जा, जी ले अपनी गलीज़ ज़िंदगी!