उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार आते ही बिना एक भी ट्रांसफर-पोस्टिंग-निलंबन की कार्यवाई हुए…. सरकार पर “यादवों” के प्रति जातिगत भेदभाव, दमन की अफवाह फैलाने के आरोपी यूपी कैडर के आईपीएस अधिकारी हिमांशु कुमार महज निलंबित क्यों?
हिमांशु कुमार की तो अब तक गिरफ्तारी हो जानी चाहिए थी.
हिमांशु कुमार… 7 मई 2016 में दहेज निरोधक एक्ट के सेक्शन 498(A) में दर्ज एफआईआर के मामले में… पटना हाईकोर्ट से जमानत याचिका (बेल एप्लिकेशन) खारिज उर्फ़ रिजेक्ट होने के बाद… बीते साल से कोर्ट की भाषा में भगोड़े आरोपी हैं. हिमांशु कुमार शादी से पहले से बाद तक एक अवैध प्रेम संबंध, अपने ससुर से कीमती जमीन लेने के भी आरोपी हैं.
हिमांशु…. समाजवादी पार्टी की अखिलेश सरकार जाने और योगी आदित्यनाथ के आने से क्यों डरे हुए हैं, इस डर की असली वजह यह है.
हिमांशु को यकीन है कि नारी अपराध और भ्रष्ट नौकरशाही को राजनैतिक आश्रय के प्रति सख्त इस सरकार में उन्हें अपने अपराधों के बदले जेल जाना ही होगा.
एक वांटेड राजनैतिक अनाथ की पुकार थी यह, जिसे उसके राजनीतिक आकाओं ने देश के एक हाइकोर्ट से खारिज जमानत याचिका के बाद भी गिरफ्तारी से बचाया.
2010 बैच के आईपीएस अधिकारी हिमांशु कुमार मूलतः बिहार के पश्चिमी चंपारण के रहने वाले हैं और जाति से राजपूत हैं.
जुलाई 2014 में प्रिया सिंह जो एक रिटायर्ड सरकारी इंजिनियर की लड़की हैं, से इनकी शादी हुई. शादी में हिमांशु ने, प्रिया के पिता से पटना के आशियाना नगर में स्थित करोड़ों के कीमत की जमीन दहेज में लिया.
शादी के फ़ौरन बाद से ही दोनों के संबंध बिगड़ने शुरू हुए, क्योकि प्रिया को हिमांशु के एक लड़की से संबंधों की जानकारी हुई जो शादी के बाद भी जारी था.
इसे लेकर 7 मई 2014 को प्रिया ने हिमांशु कुमार के खिलाफ पटना में दहेज निरोधक और स्त्री प्रताड़ना के आरोपों में मुकदमा दर्ज कराया, जिसमे पटना हाईकोर्ट ने हिमांशु कुमार की जमानत याचिका खारिज कर दिया.
प्रिया सिंह ने तत्कालीन अखिलेश यादव की सरकार को कोर्ट के आदेश की प्रति सौंपी. बैंक स्टेटमेंट, मेल, व्हाट्सऐप मैसेज सहित वे तमाम प्रमाण भी सौपें… जो हिमांशु कुमार के आपराधिक और स्त्री शोषण की कहानी कहते और प्रमाणित करते थे.
इस सबके और बीते सितंबर में इंस्पेक्टर जनरल स्तर के अधिकारी की जांच में साफ कार्यवाई की सलाह के बावजूद… अखिलेश सरकार ने हिमांशु कुमार के खिलाफ कोई कार्यवाई न करते हुए… महज उनका ट्रांसफर एसपी फिरोजाबाद पद से कर दिया गया.
जबकि हिमांशु कुमार के खिलाफ यह विभागीय जांच कहती है कि उन्होंने सर्विस रूल्स का गंभीर उल्लंघन किया है.
भाजपा और योगी आदित्यनाथ की सरकार उत्तर प्रदेश में आते ही बिना किसी आधार के इन हिमांशु कुमार सिंह जी ने जब…. सरकार पर यादव सरनेम देख कर प्रताड़ना का आरोप ट्वीट के जरिये लगाया… तो लोगों का चौंकना लाजमी था.
लेकिन जिन जातिगत सत्ताओं ने हिमांशु कुमार जैसे आपराधिक मानसिकता के अधिकारियों को संरक्षण दिया हो, गिरफ्तारी से बचाया हो…. उनके लिए अहसानों में डूबे हुए का नारा लगाना अब इन कारणों की जानकारी के बाद वाजिब लगता है.
उत्तर प्रदेश सरकार से अपेक्षा की जानी चाहिए कि आपराधिक गतिविधियों में लिप्त ऐसे तत्वों पर शासन स्तर से कठोरतम कार्यवाई होगी ही, जिसकी बेहद प्रामाणिक छवि इस सरकार ने बनाई है.
निलंबित आईपीएस हिमांशु कुमार जैसे आपराधिक और भ्रष्ट आचरण के पूर्व सत्ता-पुत्रों उर्फ़ राज-पूतों को संबंधित कोर्टों के हवाले किया ही जाना चाहिए.