ग्यारह दिन की नींद

सन 1582 की बात है जब पोप ग्रेगोरी XIII को कैथोलिक चर्च का प्रमुख बने दस साल हो चुके थे. उन्हें ईस्टर की तारिख से दिक्कत हो रही थी.

उस ज़माने में ज्यादातर लोग जूलियन कैलंडर का इस्तेमाल करते थे. ये 365 दिन और 6 घंटे का एक साल मानता है जो कि मोटे तौर पर सही है. थोड़ा और ध्यान दिया जाये तो ये 365 दिन 5 घंटे और 49 मिनट का होना चाहिए.

ग्यारह मिनट कोई बहुत ज्यादा नहीं होते लेकिन जब 1300 साल इसे दोहराया जाये तो फर्क आ जाता है. तो पोप ग्रेगोरी XIII ने 24 फ़रवरी 1582 को एक पेपल बुल जारी किया.

ऐसे papal bull का मतलब होता है कि कैथोलिक चर्च में आस्था रखने वाले इलाके के सभी लोग ये हुक्म मानेंगे. स्पेन, इटली, नीदरलैंड्स, फ्रांस, पुर्तुगाल, लक्सेम्बेर्ग, पोलैंड और लिथुआनिया ने उनका ये Papal Bull मान लिया था.

अगले पचास साल में ऑस्ट्रिया, स्विट्ज़रलैंड, जर्मनी, हंगरी और प्रुशिया ने भी नया कैलंडर अपना लिया था.

ब्रिटेन आसानी से मानने को तैयार नहीं हो रहा था. ब्रिटेन के चर्च को कैथोलिक चर्च से झगड़े के बाद, अलग हुए, ज्यादा वक्त नहीं बीता था. लेकिन इस से समस्या होने लगी. चिट्ठियों और सभी दस्तावेजों पर दो दो तारीखें डालनी पड़ती थी.

आख़िरकार ब्रिटेन ने अपनी नीति बदलते हुए चर्च के सामने घुटने टेके और Calendar (New Style) Act, 1750 पास हुआ.

इस तरह ब्रिटेन और उसके सभी गुलाम देशों में एक नया कैलंडर चलाने की तैयारी हो गई. जब ब्रिटेन ने ग्रेगोरियन कैलंडर को अपनाया तो तारीखों में भरी फेरबदल करने की जरुरत पड़ी.

तेरह तारीख को मनहूस भी माना जाता था. इस लिए 1752 के कैलंडर में से 3 सितम्बर से लेकर 13 सितम्बर तक की तारिख गायब कर दी गई. 2 सितम्बर को सोये लोग अगली सुबह 14 सितम्बर को जागे.

कम दिन काम करने वालों को उस महीने पूरे महीने की तनख्वाह कई यहूदी व्यापारियों को देनी पड़ी थी. जाहिर है उन्होंने इसका विरोध किया और आज तक अकाउंट का नया साल वो ग्रेगोरियन वाले नहीं बल्कि अपने मार्च ख़त्म होने वाले वक्त को ही मानते हैं.

1 अप्रैल को अप्रैल फूल मनाने की प्रथा ऐसे ही लोगों को शर्मसार करने के लिए शुरू की गई थी. यहूदियों के अलावा भी कई लोग ग्रिगोरियन कैलंडर नहीं मानते थे.

ओर्थोडॉक्स चर्च के प्रभाव वाले रूस में 1918 में ग्रेगोरियन कैलंडर लागू हुआ. ग्रीस ने इसे 1923 में अपनाया था. इन्हें 11 दिन नहीं बल्कि अपने कैलंडर से 13 दिन गायब करने पड़े थे.

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