खून तो बहता ही है, वीरों का मैदानों में और कायरों का नालियों में

अंग्रेजी में एक शब्द है Decimate. सामान्य प्रयोग में इसका अर्थ लिया जाता है नष्ट कर देना, तहस नहस कर देना. पर ऐतिहासिक रूप से यह रोमन आर्मी के एक प्रयोग से निकला है… शाब्दिक अर्थ है, पराजित शत्रुओं में से हर दसवें का सर काट देना या हत्या कर देना.

पराजित शत्रु या किसी विद्रोह के दमन के बाद रोमन सेना उनमें से दस प्रतिशत की हत्या कर देती थी. सुनने में यह आज तो बेशक नृशंस और क्रूर लगता है, पर अपने समय के हिसाब से यह एक रिज़नेबल और प्राग्मेटिक शक्ति प्रदर्शन रहा होगा.

हमने दूसरे आक्रमणकारी देखे हैं जैसे मंगोल या मुस्लिम सेनाएं पूरी पराजित सेना के साथ साथ पराजित जनता की भी हत्या कर देती थी, या गुलाम बना कर बेच देती थी, स्त्रियां सेक्स स्लेव्स बना ली जाती थीं. अपेक्षाकृत सभ्य समाज में भी ऐसी घटनाएं हुई हैं.

हेनरी V ने बैटल ऑफ़ अगिनकोर्ट में फ़्रांसिसी सेनाओं को ना सिर्फ बुरी तरह से पराजित किया था, बल्कि हजारों आत्मसमर्पण किये Knights को मरवा दिया था, फ़्रांस की कमर तोड़ दी थी.

उसके मुकाबले 10% की हत्या को क्रूरता के बजाय 90% को जीवन दान देने की कृपा के रूप में ही देखा जाता होगा…. जीवनदान अपनी शर्तों पर. 10% की हत्या यह सुनिश्चित करती थी कि आपकी शर्तें मानी जाएँगी.

हम कभी क्रूर नहीं थे. हम मंगोल या तुर्क नहीं हैं, हम रोमन भी नहीं हैं, हम हेनरी पंचम या जनरल डायर के वंशज अँगरेज़ भी नहीं हैं. पर सर्वाइवल हमारी भी जरूरत है. आवश्यकता भर क्रूरता रखनी होगी.

10% ना सही, 1%… या 0.1% या शायद सिर्फ 0.01%… विश्व बदल गया है, अंकगणित बदल गया है, मूल सिद्धांत नहीं बदले हैं… सेना ने कश्मीर में पत्थरबाजों पर गोलियां चलाई हैं… दुर्भाग्य से सिर्फ तीन पत्थरबाज मरे. काफी नहीं है… कश्मीर की आबादी कुल लगभग 2 करोड़ होगी… सेना को अपना अंकगणित दुरुस्त करना होगा…

और खून खराबे से मत डरिये, ज्यादा कुछ की नौबत नहीं आयगी. मुस्तफा कमाल पाशा ने यूँ ही नहीं कहा था कि इस्लाम हारी हुई कौमों का मज़हब है…

और खून का क्या है… खून तो बहता ही है… वीरों का मैदानों में और कायरों का नालियों में…

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