हमको बताया गया कि नोटबंदी की लाइनों में 150 के आसपास लोग मर गए. मीडिया और नोटबंदी की विरोधी (मोदी विरोधी) पार्टियों ने ऐसे विधवा विलाप किया जैसे सचमुच वो विधवा ही हो गए हों. सब नेता ऐसे छाती पीटते थे जैसे बेचारे गरीब आदमी का इनसे बड़ा खैरख्वाह कोई है ही नही.
मुझे सबसे बड़ा कौतूहल ये होता कि इतने बड़े मुल्क में आखिर इन खबरंडियों और दल्ले नेताओं ने ये आंकड़ा आखिर जुटाया कैसे? ऐसी कौन सी एजेंसी थी जो इस पूरे event को track कर रही थी?
आज़ादी के 70 सालों में देश के नागरिक क्या पहली बार लाइन में लगे थे? लाइन में लगे आदमी की मौत क्या पहली बार 8 Nov 2016 के बाद हुई? उस से पहले जो मुल्क पूरे 70 साल लाइनों में खड़ा रहा, तब उन लाइनों में किसी की मौत न हुई?
वैसे इस मुल्क की सबसे लंबी लाइन तो नेहरू-गांधी ने लगवाई थी… 1947 में.
यूं बताते हैं कि 100 किमी से भी ज़्यादा लंबी लाइन थी दोनों तरफ से आने जाने वाले लोगों की….
भूख-प्यास से बिलबिलाते-छटपटाते लोगों की…. अपना घर-द्वार, सगे-संबंधी, अपना मुल्क, अपनी जन्मभूमि तक गंवा बैठे लोगों की लाइन….
सुना है कि उस लाइन पर IAF बोले तो Indian Air Force के जहाजों से निगाह रखी जा रही थी…. उस लाइन में कितने लोग मरे…. है कोई आंकड़ा???
और उसके बाद से मुल्क आज तक लाइन में ही तो खड़ा है!!!
गेहूं-चावल की लाइन
केरोसिन तेल की लाइन
अस्पताल में लाइन
स्कूल के एडमीशन में लाइन
एलपीजी गैस की लाइन
टेलीफोन की लाइन
रेल की टिकट के लिए लाइन
रेल की जनरल बोगी के सामने लाइन
बैंक के सामने लाइन
ATM के सामने लाइन
Michael Jackson के शो के लिए लाइन
Harry potter की किताब के लिए लाइन
I-Phone के लिए लाइन
और बिलकुल ताज़ा मामला – डिस्काउंट पर 2 व्हीलर खरीदने को लाइन….
इन तमाम लाइनों में कितने लोग मरे आज तक? कितनी लाशें गिरीं इन लाइनों में???
गिनी किसी ने? क्यों नही गिनी???
गिनी तो सिर्फ नोटबंदी की लाइन में गिरी लाशें ही क्यों गिनी?
कल रवीश कुमार रिज़र्व बैंक के सामने नोटबंदी की आखिरी कहानियां सुना रहा था…. उनकी कहानी कौन सुनाएगा जो पिछले 70 सालों में उन लाइनों में गुमनाम मर गए???