राम जन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की जल्द सुनवाई वाली स्वामी की अर्जी

नई दिल्ली. राम जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी की रोज सुनवाई करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने स्वामी से कहा कि आप पार्टी (पक्षकार) नहीं हो.

गौरतलब है कि 21 मार्च को हुई मामले की पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर की बेंच ने मामले से जुड़े पक्षकारों से कहा था कि आपसी सहमति से मसले का हल निकालने की कोशिश की जानी चाहिए.

अदालत ने यह भी कहा था कि अगर जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट के जज इस बातचीत में मध्यस्थता कर सकते हैं. अदालत ने मामले से जुड़े सभी पक्षों को आज यानी 31 मार्च तक की समय सीमा दी थी. इस मामले से जुड़े सभी पक्षों को आज अदालत में अपना पक्ष रखना है.

उल्लेखनीय है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने 30 सितंबर 2010 को जन्मभूमि विवाद में फैसला सुनाते हुए जमीन को तीनों पक्षकारों में बांटने का आदेश दिया था. हाईकोर्ट ने जमीन को रामलला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड में बराबर बराबर बांटने का आदेश दिया था. हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सभी पक्षकारों ने सुप्रीमकोर्ट में अपीलें दाखिल कर रखी हैं जो कि पिछले छह साल से लंबित हैं.

शुक्रवार को कोर्ट के सामने पेश हुए मामले में सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि राम मंदिर विवाद का मामला पिछले 6 साल से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को रोजाना सुनवाई कर जल्द फैसला सुनाना चाहिए.

कोर्ट ने स्वामी की इस अर्जी को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि आप मामले में पार्टी नहीं है. कोर्ट ने स्वामी से पूछा कि क्या वे इस मामले में पार्टी हैं तो स्वामी का जवाब था कि वे पूजा करने के अपने मौलिक अधिकार के तहत यह कह रहे हैं.

इसके बाद स्वामी ने इस मामले पर दो टवीट्स किए और कहा कि जो लोग अदालत में मामले को लटकाना चाह रहे थे उन्हें कामयाबी मिली है और वो राम मंदिर बनवाने के लिए दूसरे रास्ते अपनाएंगे.

अपने पहले टवीट में स्वामी ने लिखा, ‘आज अदालत में जज ने मुझसे पूछा कि क्या मैं इस मामले में पार्टी हूं तो मैंने कहा कि पूजा करने के अपने मौलिक अधिकार के तहत यह कह रहा हूं.’

अपने दूसरे ट्वीट में उन्होंने लिखा, ‘जजों ने कहा कि उनके पास वक्त नहीं है और मामले को बंद कर दिया. दूसरे शब्दों में कहूं तो जो इस मामले को अदालत में लटकाना चाह रहे थे, सफल हुए. मैं दूसरे रास्ते अपनाउंगा.’

गौरतलब इस मामले में एक मुख्य याचिकाकर्ता के बेटे ने सुप्रीम कोर्ट को चिट्ठी लिखकर भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा सभी संबंधित पक्षों को जानकारी दिए बिना मामले की तत्काल सुनवाई की मांग पर आपत्ति जताई है.

इस केस में एक पक्षकार रहे दिवंगत मोहम्मद हाशिम अंसारी के बेटे ने शीर्ष अदालत के महासचिव को पत्र लिखकर कहा कि स्वामी बार-बार चीफ जस्टिस के सामने मामले का उल्लेख करते हैं, यहां तक कि उनके पिता की ओर से पेश वकील सहित ‘एडवोकेट ऑन रिकार्ड’ (एओआर) तक को जानकारी नहीं देते हैं.

आपको बता दें कि अयोध्या विवाद में सबसे पुराने याचिकाकर्ताओं में से एक दिवंगत मोहम्मद हाशिम अंसारी का पिछले साल जुलाई में 95 वर्ष की उम्र में हृदय संबंधी बीमारियों से निधन हो गया था. वह इस मामले में फैजाबाद की दीवानी न्यायाधीश अदालत में वाद दायर करने वाले पहले व्यक्ति थे.

अंसारी के बेटे इकबाल ने इस पत्र में कहा, ‘मीडिया में खबर है कि डॉक्टर सुब्रमण्यम स्वामी ने इस अदालत (चीफ जस्टिस) के सामने इसकी रोजाना सुनवाई के लिए 21 मार्च 2017 को मामले का उल्लेख किया था. यह कार्यवाही वास्तविक वाद से जुड़ी है और इनमें से किसी में भी डॉक्टर स्वामी पक्षकार नहीं हैं.’

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