Poorna : पूर्ण आत्मविश्वास से ही बनता है कोई पूर्णा

poorna rahul bose ma jivan shaifaly bollywood movie review making india

पूर्ण आत्मविश्वास से ही बनता है कोई पूर्णा, यह बात सिर्फ उस 13 साल में एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ जाने वाली मलवथ पूर्णा पर ही लागू नहीं होती बल्कि इस फिल्म को बनाने वाले राहुल बोस पर भी लागू होती है.

इक्का दुक्का किसी फिल्म में नज़र आने वाले राहुल बोस ने जब इस फिल्म को बनाने का विचार किया होगा तब वो ये बात जानते होंगे कि इस फिल्म के बहुत सफल होने या बहुत पैसा मिलने की उम्मीद नहीं है लेकिन उस लड़की का एवरेस्ट फ़तेह करने का सपना जब राहुल बोस के किसी ऐसे सपने से जुड़ गया जिसमें दोनों के जज़्बे का वज़न एक सा था तब बनकर आती है पूर्णा.

ऐसी फ़िल्में बॉक्स ऑफिस पर नहीं दर्शकों के दिलों पर हिट करती है और हिट होती हैं.

13 साल की भारतीय आदिवासी बच्ची, मलवथ पूर्णा ने एवरेस्ट की चोटी को छू लिया. पूरी दुनिया में पूर्णा अकेली लड़की है जिन्होंने इतनी कम उम्र में 8,848 मीटर ऊंचे पर्वत को चढ़ने में सफलता पाई.

13 साल की पूर्णा कहती हैं, “मैं खुश हूं कि मुझे चढ़ने का मौका मिला. अगर मैं फिट हूं तो कोई मुझे चढ़ने से क्यों रोकेगा. मैं साबित करना चाहती हूं कि मेरे समुदाय के लोग, आदिवासी कुछ भी कर सकते हैं.” फिलहाल पूर्णा और चोटियों चढ़ना चाहती हैं. फिर पढ़ाई खत्म करके वह पुलिस अफसर बनना चाहती हैं.

पूर्णा के इसी जज्बे पर राहुल ने एक अद्भुत फिल्म बनाई है जो ना सिर्फ लड़कियों की कुछ भी कर जाने की क्षमता और दृढ़ निश्चय की नई व्याख्या प्रस्तुत करती है बल्कि इस फिल्म ने समाज में व्याप्त छुआछूत, बाल विवाह और लड़कियों को शिक्षा से वंचित रखने वालों की मानसिकता पर भी गहरी चोट की है.

Comments

comments

LEAVE A REPLY