इतिहास गवाह है कि मुर्दा कौमें अपना सब कुछ लुटा कर ख़त्म हो जाया करती हैं… जिन्दा जातियाँ अपना सब लुटने और छीने जाने के बाद भी संघर्ष करती हैं और वापस अपना सब लुटेरों से छीन लेती हैं.
मानता हूँ कि 1991 में हालात अलग थे। केंद्र से लेकर राज्य में चरमपंथियों के पोषक और वोट के लालच में तुष्टिकरण करती हुई सरकारें थीं। नेता भी ऐसे ही थे। आपके हाथ में हथियार नहीं थे, आप लड़ने को तैयार नहीं थे।
आक्रांता आये, मारा-पीटा, हत्याएं की और आपको खेत, घर और व्यापार से खदेड़ दिया। आप अलग-अलग शहरों में डेरा जमा के बस गए। अपना दुःख अलग-अलग मंचों पर रोते रहे.
कुछ लोगों ने बस आंसू पोंछे और निकल लिए। कुछ ने मज़ाक उड़ाया आपका और कुछ ने कोई घास भी न डाली …
आज हालात अलग हैं… आपने कई मुकाम तय कर लिए हैं। आपके पास पैसों की ताकत भी आ गयी है। एक आपकी चिंता करने वाली सरकार आ चुकी है।
अब आपको उठना होगा… अपने में से 400-500 लड़के तैयार करने पड़ेंगे जो सर पर कफ़न बाँध लें और टूट पड़ें उन पत्थरबाजों पर।
घुस जाएं घाटी में और जो भारत के ही पैसों पर करोड़ों रुपये की सुरक्षा लेकर और महलों में रह रहे है… तुम्हारे ही छीने हुए घर, संसाधन और व्यापार पर कब्ज़ा कर के मुंह चिढ़ा रहे हैं… गर्दन मर्दन कर डालो उनका…
कर दो चढ़ाई… पत्थरबाजों को उनके ही तरीके से जवाब दो… AK 47 लहराते भाड़े के टट्टूओं के अंदर घुसेड़ दो उनके AK 47 की नली …
बस एक बार चढाई कर दो इन इलानियों, जिलानियों, गिलानियों और मलिकों के ऊपर… घुस के मारो… अंदर घुस के मारो… खदेड़ खदेड़ मारो…
फिर देखो वो जमीन, घर, बाग़, व्यापार और इज़्ज़त सब आपको वापस मिल जाएगी… अब तब युद्धिष्ठिर बनके अपना हक़ मांग रहे थे… अब अपने अंदर से पैदा कर दो भीम, अर्जुन, नकुल, सहदेव और अभिमन्यु…
ऐसा अभिमन्यु जो उनके चक्रव्यूह में घुसकर उनकी औकात बता दे… भीम जो कुचल डाले… अर्जुन जो छलनी कर दे… नकुल सहदेव जो चीर डाले…
बिना लड़े और कौरवों का विनाश किये, हक़ की सुई के नोक बराबर जमीन भी न मिलनी थी पांडवों को…. उन्होंने लिया… कुरुक्षेत्र में अपना कर्म किया और अपना हक़ वापस लिया… अब एक नया कुरुक्षेत्र तैयार करो घाटी में… इतिहास में अमिट छाप छोड़ दो…
जागो विस्थापित कश्मीरी हिंदुओं जागो… छीन लो वापस अपनी खोई हुई इज़्ज़त, जमीन और घर… ले लो अपना सब वापस…