कहते हैं पार्वती ने शिव को पति रूप में पाने के लिए
एक व्रत शिव से छुपाकर किया था
और तब से उसे गणगौर माता के रूप में पूजा जाता है
मैंने भी एक व्रत आधी उम्र तक
दुनिया से छुपाकर किया
और उम्र के सूरज के डूबने से पहले तुझे पा लिया
कहते हैं मिट्टी की मूरत पर दूध के छींटे देकर
आज भी औरतें उस भभूतधारी सा वर पाने के लिए
गणगौर माता की पूजा करती है
मैंने भी शक्ति कणों के छींटे देकर अपनी देह की मिट्टी
को पावन किया
और तुझ जैसा रमता जोगी पाया
कहते हैं जहाँ पूजा की जाती है
उस स्थान को गणगौर का पीहर
और जहाँ विसर्जन किया जाता है
वह ससुराल होता है
तेरे स्पर्श को
इस देह की मिट्टी ने हमेशा पूजा कहा है
आ मेरी आत्मा को छूकर
उसे अंतिम धाम पर विसर्जित कर दे…