आधार से देश के आम लोगों का डरना मुझे अजीब लग रहा है. ठीक ठीक कहूँ तो आम लोगों से ज्यादा डरा हुआ आम लोगों को उलझाने वाला तंत्र है. हमेशा की तरह अजीब से तर्क दिए जा रहे हैं… हमेशा की तरह किसी भी योजना के गिर्द रहस्य का आवरण लपेटने का प्रयास चालू है.
मेरे पास आधार कार्ड नहीं है… न होने के कारण सामने तकलीफें दिख रही हैं. अभी GST का रजिस्ट्रेशन नहीं करवा पा रहा… कुछ दिन बाद इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने में भी दिक्कत होगी… और भी कई परेशानियाँ हैं और आगे होंगी भी. फिर भी मैं आधार का समर्थन करना चाहूँगा.
समर्थन के तर्क हैं मेरे पास… लेकिन पहले उन बातों पर चर्चा जो विरोध में कही गयी हैं.
किसी मित्र ने फेसबुक पर पोस्ट किया था कि आधार द्वारा सरकार हम सबका डेटा लेकर उस डेटा को प्राइवेट कंपनियों को बेच देगी.
माफ़ करना दोस्त लेकिन आधार पर जितना खर्च हुआ है… उसका उद्देश्य बस डेटा बेचना होता तो सरकार के लिए ये बड़े घाटे का सौदा होता. जिन कंपनियों को डेटा बेचना होता है… वो बड़े सस्ते तरीके से डेटा जुटा लेती है. आप खुशी खुशी दे भी देते हैं.
नौकरी डॉट कॉम, छोकरी डॉट कॉम, शादी डॉट कॉम, आबादी डॉट कॉम, जवानी डॉट कॉम और बुढ़ापा डॉट कॉम, फलाना सर्च डॉट कॉम और ढिकाना कम्युनिटी डॉट कॉम सबको आप सहज ही डेटा देते हैं और ये बड़े प्यार से उसको बेचते हैं.
डेटा लेने के लिए लगभग शून्य लागत की व्यवस्था बनती है… ज्यादा खर्चा डेटा जमा करने में अक्सर नहीं किया जाता… अगर ऐसा होगा तो फायदा के बदले नुकसान होगा. सरकार आधार से ज्यादा… आपके सोच से कहीं ज्यादा बड़े फायदे की ओर देख रही है.
दूसरी बात सुनने में आयी कि आधार के द्वारा सरकार हमारी जासूसी करेगी और आम जनता की निजता खत्म हो जाएगी. पहले तो सवाल ये कि आप किस निजता की बात कर रहे हैं? आपको और मुझे संपत्ति रखने का अधिकार है लेकिन निज संपत्ति का भी ब्यौरा सरकार के पास रहना चाहिए… अघोषित संपत्ति रखने का आपको हक़ नहीं.
आप आस्तिक/ नास्तिक/ ब्राह्मण/ शूद्र/ हिन्दू/ मुस्लिम कहलाने और अपनी मान्यताओं के साथ जीने के लिए स्वतंत्र हैं और आपका जीवन का तरीका निज अधिकार है लेकिन आप जो भी हैं वही आप घोषित तौर पर भी हैं. हिन्दू होकर आप मुस्लिम होने का स्वांग नहीं रच सकते… ये आबादी के एक हिस्से के लिए छल हो सकता है.
विवाह आपका अधिकार है… आपके निज पलों की जासूसी कोई नहीं कर सकता लेकिन विवाह का पंजीकरण जरूरी है… आप अपने विवाह को छुपा नहीं सकते… और मेरे अनुसार लिव इन का भी पंजीकरण अनिवार्य किया जाना चाहिए.
तो आधार आपके निजता का हनन बिल्कुल नहीं है… ये पूरी व्यवस्था के और पारदर्शी होने का एक माध्यम भर है.
यहाँ दूसरा सवाल भी है, वो ये कि सरकार चाहे तो कई और तरीके से आपकी जासूसी कर सकती है… जासूसी बिना आधार के भी बखूबी हो सकती है. आपका सारा डेटा सरकार के पास कई अन्य फॉर्म से सुरक्षित है.
अभी एक समाचार चैनल पर एक पत्रकार ने ये चिंता जताई कि सरकार आधार के माध्यम से जाति और वर्ग आधार पर आसानी से वर्गीकरण कर जनकल्याण योजनाओं से उन वर्गों को वंचित कर देगी जिसने उसे वोट नहीं दिया.
ठीक है… ऐसा किया जा सकता है, बिल्कुल किया जा सकता है लेकिन आधार के बिना भी ऐसा किया जा सकता है. थोड़ी समस्या बढ़ जाएगी… दो चार लाइन ज्यादा कोड लिखना पड़ जाएगा और दो तीन अलग अलग डेटाबेस को कंबाइन करना पड़ेगा… यूनिक की ढूँढना थोड़ा मुश्किल हो जाएगा… लेकिन डेटाबेस हैंडलर्स के लिए ये सब चुटकी का खेल है.
दूसरी बात ये कि जात/ धर्म के आधार पर भेद के लिए आधार क्यों चाहिए? नेता आपसे आपका जात सीधे पूछ लेगा… नहीं बताईयेगा तो उसको कंठ में ऊँगली डाल कर उगलवाना भी आता है. भेदभाव तो बिना आधार के भी धड़ल्ले से हो रहा है… संख्या कम है तो आपको भाव नहीं मिलेगा.
बिना आधार के ही मेरे गाँव के डोम टोला वालों को एक भी इंदिरा आवास नहीं मिला… बिना आधार के ही वोट बेचने वाला दलाल इंदिरा आवास के पैसे से ही तीन मंजिला मकान बना लेता है… उदाहरण बहुत है मेरे पास.
और जात/ धर्म आप गर्व से ढोते चलते हैं… अपनी बस्तियाँ भी इसी आधार पर बना लेते हैं… जब खुद ही साफ़ वर्गीकृत हैं तो किसी को कुछ और करने की जरुरत पड़ेगी क्या?
फिर ये भी सुनने को मिला कि जब इतने सारे पहचान पत्र पहले से हैं ही तो आधार की क्या जरुरत है.
ऐसा इसलिए क्योंकि केवल आधार ही ऐसी व्यवस्था है जिसमें बायोमेट्रिक इनफार्मेशन लिया जाता है. हरेक इंसान के लिए अलग होता है… डुप्लीकेशन लगभग असंभव है. जिसने अभी एक से ज्यादा कार्ड बनवा लिया है वो भविष्य में जरूर धरे जाएँगे.
और भविष्य में शायद इस एक कार्ड से ही हर सुविधाएँ दी जा सकेंगी. तकनीक ज्यादा उन्नत होने पर आपकी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और डीएनए कोडिंग के आधार पर भविष्य की व्याधियाँ भी पता की जा सकेंगी.
आधार बहुत बड़े कारण से इतनी गंभीरता से लिया जा रहा है… सभी सरकारों द्वारा. आधार पारदर्शिता की ओर बढ़ता कदम है. विमुद्रिकारण, डिजिटल इकॉनमी और आधार टैक्स चोरों पर लगाम लगाएगा. ब्लैक मनी का रास्ता बहुत संकरा हो जाएगा.
जिस देश में लगभग दो करोड़ से ज्यादा लोग ही तीन लाख से अधिक कमाते हैं… वहाँ इस सँख्या को पंद्रह करोड़ तक पहुँचा कर भी राजस्व में कई गुना का इजाफा हो जाएगा.
आधार सरकारी योजना के बंदरबाँट पर लगाम लगा सकता है. दस प्रतिशत भी उसको नहीं मिल पाता जिसको उसकी जरुरत है… बाकी डेटाबेस से भी ये संभव था लेकिन डुप्लीकेसी बहुत ज्यादा है वहाँ.