मौत को छू कर आने वाली औरतें जान जाती हैं
ज़िंदगी कितनी ख़ूबसूरत है
ज़िंदगी इसी पल है
मौत भी
जुड़वाँ बहने हैं दोनों
इकट्ठा ही दिल धड़कते हैं दोनो के
एक का दर्द दूसरी महसूस करती है
वक़्त आने पे थाम लेंगी एक दूजे का हाथ
मौत को छू कर आने वाली औरतें
यदा कदा प्यार में पड़ती रहती हैं
झूठ सुन कर मुस्कुराती हैं
ग़लत पर हंस देती हैं
रोते हुए को गले लगा लेती हैं
प्यार-प्यार ही हो जाती हैं
यूँ कि जैसे मौत का और प्यार का कोई गहरा रिश्ता हो
मौत को छू कर आने वाली औरतें
नहीं करती किसी का इंतज़ार
न ही झूठे दिलासे देती हैं
न सुनती हैं
हाँ, पर बेहद ख़ूबसूरत लगती हैं
शांत, स्थिर
चेहरे पे एक चमक
आँखों में एक गहराई
समझाती नहीं कुछ
समझती हैं सब कुछ
मौत को छू कर आने वाली औरतें
ग़ुस्सा कम ही करती हैं
मुआफ़ कर देती हैं आसानी से
शुक्रगुज़ार रहती हैं हर दम
हर रिश्ते, हर फ़रिश्ते
हर दुआ, हर मन्नत की अहसानमंद रहती हैं
ख़ुदा रहता है उनके आस पास
और वो ख़ुदा के पास रहती हैं
मौत को छू कर आने वाली औरतें ज़िंदगी हो जाती हैं
मोहब्बत हो जाती हैं
करुणा हो जाती हैं
प्रेरणा हो जाती हैं
– राजेश जोशी