केजरीवाल की पार्टी से वसूले जाएंगे 97 करोड़ रुपए, SC के दिशानिर्देश का उल्लंघन कर दिए थे विज्ञापन

नई दिल्ली. दिल्ली उपराज्यपाल अनिल बैजल ने अरविंद केजरीवाल से 97 करोड़ रुपए वसूलने के आदेश जारी किए हैं. केजरीवाल सरकार पर विज्ञापन देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी दिशानिर्देश के उल्लंघन का आरोप है.

बीती 10 मार्च को भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अवहेलना करके करोड़ों रुपए के विज्ञापन जारी किए. इसके साथ ही दिल्ली सरकार ने करोड़ों रुपए के विज्ञापन अन्य राज्यों में खर्च किए हैं.

उपराज्यपाल अनिल बैजल ने बुधवार को वसूली का निर्देश जारी किया. इसके साथ ही उपराज्यपाल ने संबंधित मामले में जांच के आदेश भी दिए हैं.

कैग की यह रिपोर्ट शुक्रवार (10 मार्च) को दिल्ली विधानसभा में पेश की गई थी. इस रिपोर्ट में दिल्ली सरकार के कई विभागों के कामकाज के तरीकों पर सवाल खड़े किए गए थे.

कई विभागों ने तो नियमों का उल्लंघन करके सरकारी धन का इस्तेमाल किया था. इसी तरह का एक विभाग दिल्ली सरकार का सूचना और प्रचार विभाग (डीआइपी) है, जो सरकार की नीतियों को विभिन्न माध्यमों के जरिए प्रचारित करता है.

उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने 13 मई 2015 के फैसले में किसी निहित सार्वजनिक हित के बिना विज्ञापन के मनमाने ढंग से उपयोग को रोकने के लिए सरकारी विज्ञापनों के दिशानिर्देश जारी किए.

इसके तहत पांच सिद्धांतों को पारित किया गया, जिसके अनुसार विज्ञापन सरकारी दायित्वों से संबंधित होने चाहिए, विज्ञापन सामग्री विषयपरक और साफ होनी चाहिए, विज्ञापन सामग्री सत्तारूढ़ दल के हितों को बढ़ावा देने वाली नहीं हो, विज्ञापन अभियान न्यायोचित होना चाहिए और सरकारी विज्ञापन को कानूनी जरूरतों और वित्तीय नियमनों और प्रक्रियाओं का पालन करना चाहिए.

पिछले साल मई में, कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि केजरीवाल सरकार ने तीन महीनों के भीतर विज्ञापनों पर 100 करोड़ रुपए खर्च किए हैं.

एक आरटीआई का हवाला देते हुए कांग्रेस ने कहा था कि ‘केजरीवाल इस पैसे का उपयोग दिल्‍ली के लोगों के फायदे के लिए कर सकते थे, मगर उन्‍होंने ऐसा किया नहीं.’

कुछ दिन बाद, कांग्रेस नेता अजय माकन ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा बनाई गई तीन सदस्‍यीय कमेटी के सामने एक शिकायत भी दर्ज कराई थी.

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