सामने आया लखनऊ नगर महापालिका में सपा सरकार के दौर का बड़ा फर्जीवाड़ा

मुख्यमंत्री श्री आदित्यनाथ योगी जी को साधुवाद जिन्होंने उत्तरप्रदेश की अराजक और राजनैतिक संरक्षण में भ्रष्ट हो चुकी ब्यूरोक्रेसी पर पहला बड़ा हमला करते हुए उन 60 अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से हटा दिया है जिनको पिछली समाजवादी सरकार ने सेवानिवृत हो जाने के बाद भी सेवा में बनाए रक्खा हुआ था.

इन 60 अधिकारियों में सबसे विवादास्पद और शक्तिशाली पीसीएस से प्रमोट होकर आईएएस बने, एस पी सिंह थे, जो 28 फरवरी 2013 को ही सेवानिवृत हो गए थे लेकिन उसके बाद भी, सभी नियमों की अवेहलना करते हुए पिछले 3 वर्षो से एक ही मंत्री, आज़म खान के अधीन, ओएसडी एवं पदेन सचिव बन कर नगर विकास, अल्पसंख्यक कल्याण, शहरी रोजगार, गरीबी उन्मूलन विभाग को चला रहे थे.

अब जब अखिलेश की समाजवादी सरकार जा चुकी है तब उनकी सरकार में आज़म खान और उनके सचिव एस पी सिंह के कारनामे सामने आने लगे है. इन पिछले 5 सालों में उत्तरप्रदेश में जो अवैध बूचड़खानों की बाढ़ आयी है वह इन दोनों के संरक्षण में आयी है.

नगर विकास के अंतर्गत ही प्रदेश की सारी नगर महापालिकायें और नगर पालिकायें आती है, जहाँ पर उनके मनपसन्द के अधिकारियों की टोली ने, अपने आकाओं की सारी अनियमितताओं से आँखे चुरा ली थी या फिर वह भी विकास के नाम पर हो रही लूट में शामिल हो गए थे.

सबसे दिलचस्प मामला तो लखनऊ में प्रकाश में आया है, जहाँ चुनाव के दौरान ही कूड़ा प्रबन्धन करने वाली संस्था ‘ज्योति एनवायरो टेक’, जिसका सीएनडीएस और लखनऊ नगरमहापालिका के साथ पीपीपी मॉडल (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) के अंतर्गत भागीदारी थी उसको हटा कर एक नई बनाई गयी कम्पनी ‘इको ग्रीन एनर्जी’ को दे दिया गया.

यह नई कम्पनी एक आर के अग्रवाल की है जो पहले ‘ऐ टू जेड’ कम्पनी में काम करते थे, जिसको जिंदल ग्रुप के साथ पहले प्रदेश में तीन शहरो में कूड़ा प्रबन्धन का काम मिला था लेकिन वे असफल हो कर, काम बन्द कर भाग गए थे. इस कम्पनी की विरुद्ध विभाग अभी भी कार्यवाही कर रहा है.

इस पूरे मामले में घोर वित्तीय अनियमितता के साथ एक बड़े फर्जीवाड़े के संकेत मिल रहे है.

एक तरफ 30 अप्रैल 2016 को, लखनऊ नगरमहापालिका ज्योति एनवायरो टेक को कमर्शियल आपरेशन डेट प्रदान करती है और डेंगू को लेकर एक पीआईएल में जवाब देते हुए, अक्टूबर 2016 को नगर आयुक्त लखनऊ एक शपथ पत्र के द्वारा उच्च न्यायालय को ज्योति एनवायरो द्वारा कड़ा प्रबन्धन ले प्लांट को लगातार पूर्ण क्षमता से चलाए जाने को स्वीकारते है, वहीं उसी शपथ पत्र में कुछ खामियां दिखाते हुए पार्टी के साथ हुए अनुबन्ध को स्थानापन्न करने की भी बात कही है.

इस मामले का दिलचस्प पहलू यह भी है कि कमर्शियल ऑपरेटिव डेट सर्टिफिकेट देते वक्त जो पँचलिस्ट (अपूर्ण कार्यो/कमियों का विवरण) दी गयी है, वह उच्च न्यायालय में दिए गए शपथ पत्र की पँचलिस्ट से मेल नहीं खाती है और जो प्रीलिमिनरी टर्मिनेशन के साथ पँचलिस्ट दी गयी है वह इन दोनों से ही मेल नहीं खाती है.

इस पूरे मामले में जो बात सबसे सन्देहास्पद है, वह नगर विकास विभाग द्वारा, चुनाव के दौरान ही चुनावी आचारसंहिता की अवेहलना करते हुए, ‘इको ग्रीन एनर्जी’ का बिना निविदा के चयन करना, जिसकी वित्तीय स्थिति की कोई जानकारी नहीं है व 11 मार्च को परिणाम आ जाने के बाद, बैक डेट में 10 मार्च का नगर आयुक्त लखनऊ द्वारा हस्ताक्षरित, स्थानापन्न की सूचना, 14 मार्च को ईमेल द्वारा दी जाती है जिसे स्पीड पोस्ट से डिस्पैच 16 मार्च को किया जाता है!

मैं मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी जी और नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना जी से निवेदन करूँगा कि इस मामले की पूरी तरह से जांच कराई जाये और इसमें संलिप्त नगर विकास विभाग और लखनऊ नगरमहापालिका के अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की जाय जिससे भविष्य में प्रधानमंत्री मोदी जी के स्वच्छ भारत और स्मार्ट सिटी की परियोजनाओं पर भ्रष्टाचार की कोई छाया नही पड़े.

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