अब तक भैंसे के मांस की मिलावट वाले कबाब खाए, अब सूअर का खा लो

जब से ये कमबखत योगी सरकार उत्तम प्रदेश में आयी है, ये अवैध बूचड़ खानों को पुलिस ताबड़ तोड़ बंद करा रही है.

इससे पूरे देश-प्रदेश में एक बहस छिड़ गई है. चारों ओर हलचल है. बेचैनी है. अवैध बूचड़खाने क्या बंद हुए टुंडे कबाबी की कबाब की दूकान बंद हो गयी.

लोगों को ये डर भी है कि मीट-मुर्गा-बकरा भी अब महँगा हो जाएगा. महँगा नहीं बहुत महँगा. एक मित्र की पड़ोसन को तो ये भय भी सता रहा है कि ‘भैंसा बड़ा बंद हो गयल त ई कुल त कुल अलुए खा जइहें सन…. अलुआ 50 रुपिया बिकाई….’

उधर बहुत से मित्र Pork खाने की सलाह दे रिये हैं. बहुत से मित्रों को इस पूरे अभियान में योगी जी की दलितोद्धार के hidden एजेंडा की बू आती है.

बूचड़ खाने सिर्फ इसलिए बंद कराये गए हैं कि सूअर पालन को बढ़ावा मिले.

इस से पहले कि मैं इस सूअर पालन और Pork भक्षण पे और ज़्यादा प्रकाश डालूं, मैं आपको छोटे ओवैसी का वो चर्चित भाषण याद दिलाना चाहता हूँ जो आज से कुछ साल पहले उनने हैदराबाद में दिया था.

हाँ वही जिसमे भगवान राम की माँ कौशल्या के मायके और राम जन्म पे प्रकाश डाला था…. उसी भाषण में वो आगे फरमाते हैं कि ऐ हिंदुओं, तुम गोमांस खा के तो देखो…. कितना लज़ीज़ होता है….

तबी उनकी इस बात पे मैंने एक पोस्ट लिखी थी…. छोटे ओवैसी तुम मूर्ख हो…. तुमको अभी मांस भक्षण की ABC भी नहीं पता…. अबे तुम दुनिया के किसी भी मांस भक्षी से पूछ लो…. वो यही कहेगा कि दुनिया का सबसे लज़ीज़ माँस सूअर ही होता है.

राजस्थान में मेरे एक मित्र हुआ करते थे. वो वन विभाग में forest guard भर्ती हुए थे और कुल 45 साल वन विभाग की सेवा में रहे. जी हां 45 साल.

उन ने जीवन भर रईसों और अफसरों, राजा-महाराजाओं को जंगल में शिकार ही कराया था….. वो बताते थे कि ऐसा कोई जानवर-चिड़िया नहीं जो उन्होंने न खायी हो…. और उन्होंने बाकायदा certify किया कि सूअर का माँस दुनिया का सबसे लज़ीज़ मांस होता है.

दूसरी बात ये कि इसका large scale industrial production किया जा सकता है. ये जीव बहुत तेजी से बढ़ता है और इसके उत्पादन में भोत जायदे profit है.

दूसरी बात ये कि इसके पालन में हमारे दलित भाइयों ख़ास कर मुसहरों का बड़ा योगदान है.

योगी जी को चाहिए कि इस मौके का फायदा उठा के सूअर पालन की एक वृहद् योजना तैयार करें और मुद्रा बैंक से इसके लिए लोगों को आसान ऋण उपलब्ध करा के इसे बड़े पैमाने पे लागू करें.

उधर टुंडे कबाबी को चाहिए कि सूअर के मांस से बने कबाब की रेसिपी तैयार करें.

लखनऊ के हिंदुओं को बड़े भैंसे के मांस की मिलावट कर कबाब खिला सकते हो तो मियाँ भाई को सूअर के मांस की मिलावट करके खिलाओ….

हिन्दू की भोत जायदे टेंशन नहीं है…. वो अगर बड़े का कबाब खा गया तो सूअर का भी खा लेगा.

जहां तक बात बकरा महँगा होने की…. तो सूअर का उत्पादन बढ़ा के बकरे के दाम कण्ट्रोल किये जा सकते हैं.

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