इतालो कल्वीनो (Italo Calvino ) की द लिट्रेचर मशीन (The Literature Machine) बहुत-बहुत लंबे इंतज़ार के बाद मिली. मेरे हाथों में जैसे मोम का एक लाल फूल खिला!
रैंडम हाउस, विंटेज क्लैसिक्स की यह पहली किताब थी, जिसे कोई चार साल पहले पढ़ने का मौक़ा मिला था. दो बार किसी से लेकर पढ़ी, दोनों बार लौटाने की भूल की! उसके पेपरबैक की लुभावनी भारहीनता तब बहुत भली लगी थी.
कल्वीनो को विंटेज कल्वीनो कहना, किताब के पहले पन्ने पर बेलबूटों के साथ एक्स लिब्रिस लिखना भी अच्छा लगा था. यह विंटेज क्लैसिक्स का ट्रेडमार्क है. किताब की गंध स्मृति में दर्ज है. क्या यह वही गंध है, जो उस किताब की गंध थी?
कल्वीनो की प्लेफ़ुल विज़्डम से इसी के मार्फत पहले-पहल परिचय हुआ था. याद रह गया था उसका यह कहना कि क्लैसिक्स हमें इसलिए पढ़ना चाहिए, क्योंकि उन्हें पढ़ना उन्हें न पढ़ने से बेहतर है या कि लिट्रेचर सुदूर जगहों में छुपी उन किताबों की तलाश है, जो मौजूदा किताबों के मायने बदल दें या फिर यह कि कवि किनके लिए कविता लिखता है? उनके लिए, जो पहले ही बहुत कविताएं पढ़ चुके हों.
याद रह गई थी रोलां बार्थ की मृत्युसभा, प्लिनी द एल्डर की नेचरल हिस्ट्री, स्तांधाल का मिल्की वे, ओडिसी के भीतर एक और ओडिसी. और याद रह गया था यह कि बाल्ज़ाक के उपन्यासों में पेरिस एक शहर नहीं, एक कथानायक है!
ख़रीदकर पढ़ने, सहेजकर रखने जैसी किताब. जिसके पन्ने बार-बार उलटे जाएं; किसी से लेकर जिसे फिर न लौटाया जाए. तल्लीन गद्य में लिटररी क्रिटिसिज़्म का एक नायाब गुलदस्ता.