जब से योगी आदित्यनाथ का उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री पद के लिए चयन हुआ है तब से एक विशेष प्रकार के लेखों और व्हाट्सएप्प संदेशों की बाढ़ सी आगयी है.
यह सभी लेख और उनके स्क्रीनशॉट लोगो को यही बता रहे है कि योगी जी के निजी सेवक, ड्राइवर से लेकर उनकी गौशाला की देखभाल करने वाले मुसलमान है. उनके मंदिर की दुकानों में मुस्लिम लोगो को अच्छी खासी तादाद है.
मंदिर के प्रांगण के अगल बगल मुस्लिम गांव व बस्तियां है. उनके मंदिर के अस्पताल में मुस्लिमों का भी खुल के इलाज होता है. गोरखपुर के मुस्लिम प्रबुद्ध वर्ग में उनके मित्र और प्रशंसक है और गोरखपुर के मुस्लिमों के साथ योगी जी का बड़ा सौहार्द्र है.
मुझे व्यक्तिगत रूप से पता है कि सब जो बातें कही जा रही हैं, वह ज्यादातर सही है लेकिन सवाल यह है कि यह बात 18 मार्च 2017 से पहले क्यों नहीं कही गईं? यह बातें अब क्यों सामने आ रही हैं? यह किसके एजेंडे को सामने किया जा रहा है?
जो लोग इस सत्य को अब सामने ला रहे हैं, ये वही लोग हैं जो इसको अब तक छुपाये हुए थे और वो ही लोग आगे भी इसको भूल जाएंगे. इसलिए मेरा लोगों से कहना है कि योगी के सत्य को ही सत्य समझते रहें, दूसरों के सत्य को अपना सत्य मत बनाइये क्योंकि कल, यह सेक्युलर बिरादरी भूल जायेगी कि योगी जी मुस्लिम विरोधी न होकर तुष्टिकरण के विरोधी है.
यही लोग कल यह भूल जाएंगे कि मोदी जी ने योगी जी को उत्तरप्रदेश के सभी नागरिकों के समान आत्मसम्मान की रक्षा और विकास के लिए चुना है. उनके लिए, मोदी जी की तरह, योगी जी भी सिर्फ भगवा आतंकी और असहिंष्णु कट्टर हिन्दू ही रह जायेंगे.
अंत में, मैं जो हमेशा कहता रहा हूँ उसको कह कर अपनी बात खत्म करता हूँ, हिन्दू को सबसे ज्यादा खतरा मुस्लिमों से नहीं सेक्युलर हिन्दू से है, उन पर निगाहें लगाए रखिये क्योंकि 6 महीने के भीतर ही ये अराजकता करेंगे.