मोदी वो फीनिक्स पक्षी है जो जानता है राख के ढेर से ज़िंदा होने का हुनर

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अपनी थोड़ी बहुत राजनैतिक समझ के हिसाब से मैं जो देख रहा हूँ अभी वो बेशक दीवार पर लिखी इबारत की तरह साफ़ नहीं दिख रहा है लेकिन शीशे पर जमी एकदम हल्की सी धुंध को चीरते हुए आँखे उसे पढ़ पाने में कामयाब हो रही हैं.

निजी तौर पर मैं चाहता हूँ कि अब जबकि योगी का इस देश के सबसे बड़े प्रदेश के मुखिया के तौर पर राजतिलक होना महज एक रस्मी कवायद भर बची है और जिसका कि बस एक संवैधानिक महत्व ही शेष है, वक़्त आ गया है कि इस देश की सारी विपक्षी राजनौतिक पार्टियां मोदी विरोध में एक हो जायें. राहुल, नितीश, लालू, मुलायम, ममता और मायावती सब एक गठजोड़ करें और पूरी ताकत से 2019 में मोदी के खिलाफ खड़ी हों.

एक साधारण से संघ प्रचारक नरेंद्र मोदी को एक राष्ट्रीय नायक के तौर पर मोदी बनाने का श्रेय काफी हद तक इन सबको भी जाता है. मैं शुरू से कहता रहा हूँ नरेंद्र मोदी को मोदी बनाया ही उनके विरोधियों ने है जो मोदी विरोध की आग में सुलगते सुलगते अपने दिमाग और अपनी सोच तक को जला कर राख कर चुके हैं जबकि मोदी वो फीनिक्स पक्षी है जो राख के ढेर से भी जिन्दा होने का हुनर जानता है.

एक साधारण मुख्यमंत्री को राष्ट्रीय नायक बनाने में अगर इन सबकी भूमिका के अलावा छद्म बुद्धिजीवियों और मीडिया के एक बड़े समूह की चर्चा ना की जाए तो ये उनके साथ नाइंसाफी होगी. इन सबके पूरी ताकत और क्षमताओं से बने गठजोड़ का अस्तित्व में आना अब अवश्यम्भावी हो गया है क्योंकि मोदी ने अब अपने कदम नायक से महानायक बनने की ओर बढ़ा दिये हैं और वो भी पूरी मजबूती के साथ.

नायक से महानायक बनने का ये सफर साक्षी रहेगा देश और समाज विरोधी कीड़ों के खुले आम सड़क पर बिलबिलाने का, साक्षी रहेगा बेहयाई के निम्नतम धरातल पर जाकर विरोधियों की राजनीति का, साक्षी रहेगा एक नितांत अकेले मोदी पर पार्टी के अंदर और बाहर मौजूद उनके विरोधियों के तमाम कुत्सित षड्यंत्रों का और साक्षी रहेगा एक योद्धा के इन तमाम दुष्चक्रों को अकेले दम पर तोड़ कर एक महानायक बन कर निकलने का और इन सबके साक्षी बनेंगे हम सब जो अपनी आने वाली पीढ़ियों से गर्व के साथ कहेंगे कि हाँ हमने मोदी को देखा है.

योगी की उस प्रदेश में ताजपोशी जिसके गोद लिये बेटे नरेंद्र मोदी खुद हैं इस बात को चीख चीख कर कह रही है कि ये मोदी के लिये बस एक पड़ाव भर है. 2019 के लोकसभा चुनाव का मोदी ने ना सिर्फ आज शंखनाद कर दिया है बल्कि उसका एजेंडा भी तय कर दिया है.

जो लोग मोदी को जानते हैं वो ये भी जानते हैं कि मोदी को अपने विरोधियों को अपनी पिच पर खींच कर लाने और फिर उनसे वहीं लड़ने की कला में महारथ हासिल है. विरोधियों के बस एक शब्द भर को पकड़ कर पूरा चुनाव लड़ जाने का हुनर रखने वाले मोदी ऐसे ही चुनावी राजनीति के अर्जुन नहीं कहे जाते हैं. चुनाव कोई भी हो एजेंडा मोदी तय करते हैं, खेल कोई भी हो नियम मोदी तय करेंगे.

जिन लोगों को योगी का मुख्यमंत्री बनना मोदी का एक मास्टरस्ट्रोक लग रहा है उन्हें एक बार फिर जल्दी ही चौंकने के लिये तैयार हो जाना चाहिये. प्रखर राष्ट्रवाद जिसे कुछ लोग अपनी सुविधा के लिए हिंदुत्व भी कह सकते हैं और विकास का कॉकटेल अभी लोगों को कितना झुमा सकता है अभी तो इसकी बानगी भर दिखी है, किस हद तक झुमा सकता है ये देखना तो अभी शेष है.

अपनी प्रयोगशाला को गुजरात से हटा कर उत्तर प्रदेश में ले आना क्या क्या गुल खिलायेगा ये तो खैर अभी भविष्य के गर्भ में है लेकिन यकीनी तौर पर ये परिवर्तन इस देश के भविष्य की एक सुनहरी इबारत लिखने जा रहा है. वैसे भी सनातनियों के लिये शमशान/कब्रिस्तान बस एक पड़ाव भर है अपनी एक यात्रा पूरी कर के दूसरी यात्रा पर निकलने से पहले थोड़ा विश्राम करने का, इससे ज्यादा कुछ नहीं.

आज आप इससे असहमत होने के लिये पूरी तरह स्वतंत्र हैं, आजाद हैं इस कॉकटेल में तमाम नुक्स निकालने के लिये लेकिन याद रखिये इतिहास पढ़ता तो हर कोई है लेकिन इतिहास बनते हुए देखने का गौरव हर किसी को नहीं मिलता. रश्क करेंगी हमारी आपकी आने वाली पीढियां इस बात से कि हमने इतिहास बनते देखा है.

मोदी का मास्टरस्ट्रोक आना अभी बाकी है, राजनीति का अपनी सीमाओं से परे जाकर रंग दिखाना अभी बाकी है, विरोधियों का सफाया होना अभी बाकी है और हजारों लाखों वर्षों का गौरवशाली इतिहास अपने सीने में समेटे हिंदुस्थान का उत्कर्ष अभी बाकी है.

बात राजनीति से निकली है तो 2019 के चुनावों से अछूती नहीं रहेगी. नतीजा भाजपा 325 प्लस और NDA 350 प्लस रहेगा.

लेकर रख लीजिये इस लेख का स्क्रीन शॉट ताकि सनद रहे और वक़्त पड़ने पर काम आये.

शुभम भवतु !!

– अनुराग श्रीवास्तव

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