प्रेम रतन धन पायो

हां मैं तुमसे प्यार करता हूं…. क्या इतना कहने से मेरे प्रेम की अभिव्यक्ति हो गई? नहीं ना अभी तो बहुत कुछ बाकी है ना. अभी तो प्रेम के सागर में उतरने के लिए लहरों को काटना होगा, ज्वार भाटा से खुद को बचाना होगा, समुद्र की गहराई नापनी होगी बहुत श्रम करना होगा, प्रेम करने के अनुरूप अपने को बनाने के लिए.

सिर्फ एक दूसरे को देख लेने भर से प्रेम हो जाता तो प्रेम से सस्ती चीज इस जहां में कोई और न होती. प्रेम करना तो मीरा और राधा ने सिखाया है क्योंकि कृष्ण बड़ा ही निर्मोही है.

प्रेम करना तो ओशो ने सिखाया है इसीलिए तो वो सबसे विवादित और त्याज्य हैं पर मीरा के नृत्य से उत्सर्जित प्रेम को या तो कृष्ण ही समझ पाए या सिर्फ ओशो.

इस धरती पर जब जब प्रेम की बात चलेगी या उसकी परिभाषा लिखी जाएगी तो ओशो के विचारों के बिना वह अधूरी और अतृप्त ही कहलाएगी.

ओशो के पास एक युवक पहुंचा प्रेम के विषय में जानने को. उसने ओशो के कमरे का दरवाजा धक्का दे कर खोला और अंदर आ कर पैर की ठोकर से बंद किया, अपने जूते निकाल कर इधर उधर फेंके फिर उनसे कहा मैं प्रेम क्या है जानना चाहता हूं मुझे प्रेम के संबंध में कुछ बताएं.

ओशो ने कहा तुम बहुत आक्रोशित क्रोधित हो अभी तुम्हारे अंदर प्रेम का बीज पल्लवित ही नहीं हो सकता जाओ पहले उस दरवाजे से माफी मांग कर आओ जिसे तुमने पैर की ठोकर मार के बंद किया है, उन जूतों से माफी मांगो जो तुम्हारे पैरों को बिना कष्ट पहुंचाये इतने ऊबड़ खाबड़ रास्ते से यहां तक लाए हैं फिर मैं तुम्हारे सवालों का जवाब दूंगा.

आज सुबह क्लीनिक आने से पहले चप्पलें उतारीं और उन्हें शू रैक में रख कर प्रणाम किया फिर हैलो कैसे हो आप कह कर जूते पहने. इतना सब कुछ देख पत्नी हंसते हंसते लोटपोट हो गई.

उस को क्या पता कि यह क्रम तो पिछले 30 सालों से चल रहा है चोरी छिपे. पर अभी मेरी प्रेम साधना में परिपक्वता नहीं आई है क्योंकि अभी किसी के ऐसा करते देख लेने से डर लगता है.

छुप छुपा के हाय हैलो थैन्क्यू कहना पड़ता है. जब तक किसी के देख लेने का डर मेरे मन में रहेगा मैं उसी आक्रोशित युवक की तरह प्रेम से अनजान रहूंगा. जाने मैं कब कह पाऊंगा  प्रेम रतन धन पायो.

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