आप लड़ेंगे इन गिद्धों से?

हां, तो राष्ट्रवादी लकड़बग्घों, शेर-चीतों? खुश तो बहुत होगे तुम..? यूपी में बंपरतोड़ बहुमत जो ले आयी है भाजपा…. नहीं?

तुम्हारी यही जहालत तुमको ले डूबती है, पता है कि नहीं? नहीं पता होगी. अभी तो भांग की तरंग में होंगे…

वैसे, हमेशा की तरह हाशिए पर पड़े हम जैसों से जान लो कि एक और लाश तैयार कर ली है- गिद्धों ने, नोचने-खसोटने को.

उसके कुछ तथ्य जान लो, पहले. सालेम, तमिलनाडु का एक लड़का था- हंसता-खेलता. कल उसने आत्महत्या कर ली. तब से वह ‘दलित’ हो गया है.

यह भी जान लीजिए कि कल आत्महत्या हुई. आज सुबह उसके पिता हाज़िर हैं, जब से पुलिस ने ताला तोड़ कर लाश निकाली है, तब से.

ताज़ा हालत (यानी पांच बजे तक) यह है कि अब तक उसका पोस्टमार्टम नहीं हो सका है, क्योंकि लोगों (ये लोग कौन हैं, बताउंगा) का कहना है कि जब तक सीबीआई जांच का आश्वासन नहीं मिलेगा, लाश का पोस्टमार्टम नहीं होगा.

अब सुनिए दो-चार तथ्य. लड़के की लाश जिस कमरे से निकाली गयी, उसका ताला दोनों तरफ से लग सकता था. अब ये कौन बताएगा कि कमरा अंदर से बंद किया गया, या बाहर से?

– लड़के के पिता को बुला लिया गया, तुरंत. आनन-फानन में फेसबुक पेज भी बन गया, उस लड़के की स्मृति में और उस पर गिद्धों ने फैसला भी दे दिया कि यह व्यवस्था के प्रति क्षोभ से की गयी हत्या है. (हो रहा है न Deja-VU)

– फिलहाल, किरांतीकारी मनोरंजन-चैनलों की आंख का तारा बनी मोहम्मडन मार्क्सवादी बचिया ने लगे हाथों सरकार पर आरोप भी लगा दिया. शाम में वह किसी न किसी स्वयंभू किरांतीकारी चैनल के पर्दे पर होगी ही.

– दिल्ली पुलिस को मूली उखाड़ने के काम पर लगा दीजिए. मृतक का मोबाइल फोन वह दो घंटे बाद बरामद कर पाए- वह भी बापसा (बिरसा-अंबेडकर-फुले-स्टूडेंट्स असोसिएशन) के अधिकारी के पास से. इन दो घंटों में सबूत कहां गए होंगे, सोचते रहिए.

– पहले मांग हुई, पोस्टमार्टम की वीडियो रिकॉर्डिंग हो. एम्स ने कहा, तथास्तु. फिर, मांग हुई -फॉरेंसिक विशेषज्ञ हों. एम्स ने कहा, ठीक है जी. अब मांग हुई, सीबीआइ जांच का आश्वासन दो. एम्स खुद बेहोश पड़ा है.

ज़ाहिर तौर पर ये सारी मांगे, उस अभागे युवक का पिता नहीं कर पा रहा होगा, जिसने अपना बेटा खोया है. उसके गिर्द जमा गिद्धों में सुखदेव थोराट से लेकर बापसा-लापसा के पदाधिकारी हैं, जिनकी यह मांग है.

– हैदराबाद यूनिवर्सिटी के जिस युवक को आखिरकार ‘दलित’ बना डाला, इन गिद्धों ने (क्योंकि, सब उसको दलित ही लिखते-कहते हैं) उसकी भी लाश इन्होंने इसी तरह सड़वायी थी. आखिर, लाश को 36 घंटे, 48 घंटे रोकने के पीछे इनका क्या स्वार्थ है? सोचना…..

#Vultures-2 to be continued……

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