मित्रों… मैं अपना वादा भूला नहीं हूँ कि 11 मार्च यानी उत्तरप्रदेश चुनावों के नतीजे के बाद राजनैतिक पोस्ट बंद… पर इतनी विकराल जीत और उसके tremors की समीक्षा तो बनती ही है.
अभी बाहरी दिल्ली के एक जाट मित्र से UP के चुनाव परिणाम पर चर्चा हो रही थी.
मैंने कहा, UP के जाट तो हरियाणा के जाटों के दुष्प्रचार और भुलावे में आये नहीं. तो अब इस हाहाकारी जीत के बाद हरियाणा के जाटों की सोच कुछ बदली क्या? उनकी नाराजगी कुछ दूर हुई क्या?
ना जी…. हरियाणा का जाट तो अब भी उतना ही नाराज है. वो अब हरियाणा में मोदी और भाजपा को कभी नहीं आने देगा….
मैंने उन मित्र को ज़मीनी हकीकत से वाकिफ़ कराया.
हरियाणा में कितने जाट हैं?
22 या 24%
बढ़िया… इतने ही मुसलमान हैं UP में….. 20 – 22 या 24%…. मोदी के खिलाफ एकजुट हो के और पूरा जोर लगा के क्या बिगाड़ लिया मोदी का? 325 सीट….
हरियाणा में यदि सारे जाट…. सारे मतलब सारे….. भी मिल जाएं तो रोक लेंगे BJP को?
याद रखिए…. इभरी पोलोराईझेसन हैज गॉट इक्वल एंड ओपोझिट पोलोराईझेसन (every polarisation has got equal and opposite polarisation)….
इसलिए ये पोलोराईझेसन जैसी बेवकूफी में नहीं पड़ना चाहिए. ये आजकल back fire कर जाता है.
हरियाणा के जाट भाइयों को ये समझना स्वीकारना चाहिए कि हरियाणा के शेष जातीय समूह उनसे नाराज हैं. आपको अपना दिल बड़ा करना चाहिए.
पुरानी सोच छोड़िये, वरना आप भी उसी तरह समाज में politically isolate कर दिए जाएंगे जैसे UP में मुसलमान या यादव कर दिए गए हैं.
अब हरियाणा में राष्ट्र हित में एक नयी सोच का उदय होना चाहिए…. ऐसी सोच जो समाज के शेष वर्गों के साथ सत्ता और संसाधन शेयर करने को तैयार हो…. उन वर्गों के साथ जो आज तक हाशिये पे पड़े थे….
UP की राजनीति से सबक लीजिये. राजनीति में मुसलमान मत बनिये… वरना हाशिये पर धकेल दिए जाएंगे.