नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश चुनावों के लिए प्रधानमंत्री की अथक और अभूतपूर्व मेहनत के परिणाम की झलक आज मतगणना के शुरुआती रुझानों से दिखने लगी है. इससे पहले 1991 में प्रदेश में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी थी.
उत्तर प्रदेश सहित उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनावों के लिए मतगणना का काम जारी है. पांचों राज्यों के शुरुआती रुझान आने शुरू हो गए हैं. उत्तर प्रदेश में अब तक के रुझानों में भाजपा सबसे आगे है.
यहाँ भाजपा सपा-कांग्रेस गठबंधन और बसपा से बढ़त बनाए हुए है. अब तक के रुझानों में भाजपा के उम्मीदवार 297, सपा 76, बसपा 20 और अन्य 8 सीट पर आगे चल रहे हैं.
पंजाब में शिरोमणि अकाली गठबंधन के उम्मीदवार 24, कांग्रेस 57, आप 24 सीटों पर आगे चल रहे हैं. उत्तराखंड में भाजपा के प्रत्याशी 55, कांग्रेस 7, बसपा 0, अन्य 2 पर आगे चल रहे हैं.
गोवा में भाजपा के उम्मीदवार 6 सीटों, कांग्रेस 7 सीटों और अन्य 5 सीटों पर आगे चल रहे हैं. मणिपुर में भाजपा 7, कांग्रेस 8 सीटों और अन्य 5 सीटों पर आगे चल रहे हैं.
रूझानों से लगता है कि मायावती की पांचवीं बार मुख्यमंत्री बनने से चूक जाएंगी क्योंकि रूझानों में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) बहुत कम सीटों के साथ तीसरे नंबर पर चल रही है.
अगर ऐसा होता है तो बसपा ही नहीं मायावती के राजनीतिक करियर के लिए टर्निंग प्वॉइंट होगा. पांच साल सत्ता से बाहर रहने के बावजूद मायावती ने किसी से गठबंधन नहीं किया.
पहले से ही सभी दलों के निशाने पर रही मायावती पर दूसरे दलों के हमले और बढ़ जाएंगे. माना जा रहा है कि इस हार के बाद बसपा बिखर जाएगी. पार्टी में भारी टूट-फूट होगी. बसपा सभी दलों के निशाने पर होगी और बिना सत्ता के मुकाबला करना मुश्किल होगा.
उल्लेखनीय है कि आरके चौधरी, स्वामी प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक समेत कई नेताओं चुनाव से पहले ही पार्टी छोड़ चुके थे. हार के बाद बचे हुए अपनी ही पार्टी के नेताओं को सहेजना मुश्किल हो जाएगा.