साक्षी भाव से शुद्ध भौतिक तल पर जीने वाला ही भौतिक शुद्धता का अर्थ जानता है. ऐसे व्यक्ति के विचारों और कर्मों में दुर्भावना की मिलावट नहीं होती, फिर उसकी सद्भावना उसके चेहरे की बनावट हो जाती है.
फिर वो जहाँ जाता है उस स्थान, वातावरण, परिस्थिति के अनुरूप उसका व्यक्तित्व अनुकूल हो जाता है. इस अनुकूलन के दौरान बहुत से बदलाव उस व्यक्ति में देखे जा सकते हैं.
उसके बात करने का ढंग, उसका रूप रंग, हाव भाव, उसके आभामंडल से उठती तरंग… सबकुछ उस काल और स्थान में ढल जाता है. फिर आप उस व्यक्ति को उस स्थान और काल का ही समझने लग जाते हैं… फिर कोई विरोधी लाख कहें कि ये तो ‘बाहर’ का व्यक्ति है… लेकिन उस व्यक्ति के बाहर और अन्दर का भेद ही ख़त्म हो जाता है…
और ऐसा प्रभाव उत्पन्न करने की क्षमता क्या किसी साधारण और लौकिक व्यक्ति हो सकती है? नहीं, कोई योगी ही कर सकता है ये जादू… कि देखने वाले को लगे कि वह उस व्यक्ति को नहीं उस स्थान विशेष और समय को देख रहा है, जिस स्थान और समय को वो योगी धारण किये हुए है…
इतना सबकुछ एक साथ देखने की पात्रता तभी मिलती है जब आप उस व्यक्ति के विचार और कार्य से इतने एकाकार हो जाते हैं, कि आप स्थान के साथ बदलते उसकी ऊर्जा के स्वरूप को ग्रहण कर सकने के लिए खुद को उतना खुला रखते हैं.
जी, मैं बात कर रही हूँ माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की और उत्तर प्रदेश में दिए जा रहे उनके वक्तव्यों के दौरान आए उनके चेहरे की बनावट में परिवर्तन की. क्योंकि उनके विचारों और कर्मों में दुर्भावना की मिलावट नहीं, तो उनकी सद्भावना उनके चेहरे की बनावट हो गयी है.
तभी तो जब वो किसानों की ओर मुखातिब होते हैं तो किसानों को उनमें सिर्फ एक किसान दिखाई देता है, जब वो व्यापारियों से मुखातिब होते हैं तो व्यापारियों को उनमें एक कुशल व्यापारी दिखाई देता है, जब वो युवाओं से मुखातिब होते हैं तो उस स्थान के युवाओं को उनमें अपना आदर्श दिखाई देता है.
मुझे नहीं पता आप में से कितनों ने उनको सिर्फ सुना और कितनों ने उनको गौर से देखा है. मैंने उत्तरप्रदेश में दिए जा रहे उनके भाषणों को बिलकुल नहीं सुना. वो कोई नई बात कह भी नहीं रहे.
मैं तो बस देख रही हूँ इस पूरे दौरे में उनके व्यक्तित्व में आए नयेपन को, उनकी नई ऊर्जा, विजय पर विश्वास की शक्ति और ऊपरवाले की योजना के अनुरूप किये जा रहे कार्यों का व्यवस्थित अनुसरण. और हाँ यकीनन उनके चेहरे की बनावट… आग में तपकर कुंदन बन जाने के बाद की स्वर्णिम लालिमा…
मोदीजी, हो सकता है ये पढ़कर शायद सबको आपके अंदर पूरे उत्तरप्रदेश के दर्शन होने लगे. लेकिन मुझे तो आपके चेहरे में सिर्फ और सिर्फ भारत माता का चेहरा दिखाई देता है… जिसने न जाने कितने बरसों तक आपकी प्रतीक्षा की… और चूंकि उसकी प्रतीक्षा में किसी दुर्भावना की मिलावट नहीं थी तो उसकी सद्भावना आपके चेहरे की बनावट हो गयी.
आने वाले युग में इन दो चेहरों में कोई अंतर नहीं खोज पाएगा. कोई नहीं जान पाएगा कि आपका चेहरा माँ भारती के चेहरे सा है या माँ का चेहरा इस पुत्र सा हो गया…
आपको प्रणाम है, आपकी उस ऊर्जा को प्रणाम है जिसने पूरे भारत को अपनी बाजुओं में थाम लिया है.
- माँ जीवन शैफाली