पैरानॉर्मल शक्तियों को आमंत्रित करता है फ्रिज में रखा बासी आटा

Ma Jivan Shaifaly Article on ghost in pind wheat floor dough

कहते हैं फ्रिज में रखा बासी आटा भटकती आत्माओं को आमंत्रित करता है. इसके पीछे कई लोगों ने तांत्रिक कारण बताए तो कई लोगों ने इसे मृत्यु के पश्चात के पिण्ड दान से जोड़कर भी प्रस्तुत किया कि फ्रिज में रखा हुआ आटा हमारे आसपास उपस्थित उन आत्माओं के लिए आकर्षण का केंद्र होता है जो या तो उसी घर के किसी बुज़ुर्ग की हो सकती है जो मृत्यु उपरांत भी उस परिवार से मोह नहीं छोड़ पाते और बासी खाने या आटे को भोग प्राप्त करने आते हैं.

दूसरा उन अतृप्त आत्माओं के लिए बासी खाना या आटा नकारात्मक ज़ोन होता है जिसे बुरी आत्मा कहा जाता है. बुरी आत्मा नकारात्मक ऊर्जा का वो ज़ोन है जो अप्राकृतिक मृत्यु को प्राप्त होते हैं. और ऐसी चीज़ों की खोज में होते हैं जहां वो आश्रय प्राप्त कर सके. पिण्ड का एक अर्थ होता है शरीर. आटे से बना हुआ पिण्ड उन आत्माओं के लिए एक ऐसा खाली शरीर है जहां वो प्रवेश प्राप्त कर सकते हैं. फ्रिज में रखा हुआ आटा कई घंटों से अनछुआ होता है वैसे ही जैसे किसी खँडहर को किसी के बहुत दिनों से प्रवेश न होने पर भुतहा कहा जाने लगता है.

आप इस पर कुछ वैज्ञानिक प्रयोग भी कर सकते हैं, जैसे मैंने बासी आटे को दूसरे दिन रंग बदलते देखा है. आटा कई बार हल्का सा लाल हो जाता है कई बार काला भी. ऐसे आटे का कभी उपयोग न करें. ऐसे आटे की रोटी बनाकर खाने के बाद आप अपने व्यहवार या आसपास घट रही घटना का निरिक्षण करके भी उपयुक्त निर्णय प्राप्त कर सकते हैं.

आर्थिक सम्पन्नता को समृद्धि से जोड़ने वाला समाज पुरुष और नारी दोनों को घर से बाहर नौकरी करने, सैर सपाटा और बाहर के खाने का आकर्षण पैदा करता है. मुझे रूढ़िवादी या अन्धविश्वासी कहते हुए आप मेरी इस बात का मखौल उड़ा सकते हैं कि महिलाओं को घर गृहस्थी सँभालने का काम सौंपा जाना भी इस बात में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

पुरुष इस बात के तैयार हो तो इस काम के लिए किसी एक का चुनाव कर लें, जो सबके स्वास्थ्य के अनुसार भोजन व्यवस्था देखें, ताकि स्वच्छता के साथ इन ऊपरी बातों से भी बचा जा सके. चूंकि महिला कोमल ह्रदया होती हैं इसलिए इसे अधिक कुशलता से कर लेती हैं, हालांकि कोमल ह्रदय वाले पुरुष का करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है. इसलिए इसके लिए नारीवादी स्वर उठाने की आवश्यकता नहीं है. क्योंकि समय के साथ समाज भी बदल रहा है, हालांकि प्रकृति के नियम नहीं.

हमारी संस्कृति में ताज़े शाकाहारी भोजन का महत्त्व भी इन सन्दर्भों में हैं. ग्रहण के दौरान भोजन में तुलसी पत्र का उपयोग यहाँ आटे में भी काम कर सकता है. पहली बात तो बासी खाना और आटा दोनों ही फ्रिज में ना हो और मजबूरीवश रखना पड़े तो उसमें तुलसी पत्र अवश्य डाल दें.

पुनश्च : उपरोक्त लेख मैंने सहज बुद्धि, प्रकृति के संकेत और अनुभवों के आधार पर लिखा है. आप इससे असहमत भी हो सकते हैं.

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