बेहद खतरे में और बड़ा बेबस होता है उलटा पड़ा कछुआ

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80 का दशक देश में कांग्रेस का दशक था. कांग्रेस शबाब पर थी. 1980 में इंदिरा जी ने जनता पार्टी को नेस्तनाबूद कर 350 सीट जीत के पुनः सत्ता हासिल की.

80 से 84 तक पंजाब में खालिस्तानी हिंसा हुई. भिंडरांवाले का उदय हुआ. फिर ऑपरेशन ब्लूस्टार हुआ और जहां इसमें भिंडरांवाला मारा गया, वहीं इसी ऑपरेशन ब्लूस्टार की प्रतिक्रिया में इंदिरा जी की हत्या हुई.

उनकी हत्या से उपजी सहानुभूति की लहर ने कांग्रेस को 350 से 410 सांसदों की पार्टी बना दिया.

इसी 80 के दशक में जहां भाजपा का जन्म हुआ, वहीं देश में और बहुत से क्षेत्रीय दल पैदा हुए.

लगभग हर राज्य में एक मज़बूत क्षेत्रीय दल पैदा हुआ जिसने आने वाले समय में कांग्रेस को हाशिये पर धकेल सत्ता हथिया ली.

ऊपर से शुरू करें तो फ़ारूक़ अब्दुल्लाह की NC, PDP, अकाली दल, चौधरी देवी लाल एंड संस की इनेलो, जनता दल, उसमें से टूट कर बनी समता पार्टी, लालू की राजद, फिर उनसे टूट के JD(U), सपा, बसपा, cong से टूट के NCP, ओडिशा की BJD, ममता की TMC, उधर आंध्र में तेलुगू देशम, DMK, AIADMK इन तमाम क्षेत्रीय दलों ने 90 और उसके बाद के दशक में भारत के राजनैतिक परिदृश्य पर कब्जा कर लिया.

कांग्रेस उत्तरोत्तर कमजोर होती चली गयी. इसकी जगह भाजपा ले तो रही थी पर क्षेत्रीय क्षत्रप अभी भी मज़बूत थे.

कांग्रेस देश के हिंदी heartland से गायब होती गयी. हिंदी heartland जिसे cow belt भी कहते हैं, वहाँ लालू, मुलायम और मायावती का कब्जा था. जातीय राजनीति पूरे उफान पर थी. मंडल ने कमंडल को पछाड़ दिया था.

नए political order में पहले कांग्रेस परिदृश्य से गायब हुई. अब क्षेत्रीय दलों का नंबर है.

ये क्षेत्रीय दल कांग्रेस-भाजपा जैसे राष्ट्रीय दलों को हाशिये पर धकेल के उभरे थे.

अब भाजपा के उदय के साथ नया political order देश में स्थापित हो रहा है.

कांग्रेस अंतिम सांस ले रही है. सोने पे सुहागा राहुल गांधी हो गए.

कांग्रेस को नेस्तनाबूद करने के बाद अब अगला नंबर क्षेत्रीय दलों का है.

शुरुआत उत्तर प्रदेश से हो रही है. सबसे पहले सपा हाशिये पर जायेगी.

सपा के नाश की स्क्रिप्ट तो मुलायम, शिवपाल, अखिलेश और अमर सिंह के झगड़े ने लिख दी है. रही-सही कसर अखिलेश ने मुलायम, शिवपाल को हाशिये पर धकेल और पार्टी पर कब्जा करके पूरी कर दी.

अब समाजवादी पार्टी में ड्राइविंग सीट पर अनाड़ी नौसिखिया बैठा है. 11 मार्च को इसकी गाड़ी पटरी से उतर के turn turtle हो जायेगी.

Turn turtle समझते हैं?

Turtle कहते हैं कछुए को.

कछुए को पलट दो तो उसका खोल नीचे और टांगें ऊपर हो जाती हैं. जमीन पर उलटा पड़ा कछुआ बेचारा बड़ा बेबस होता है.

उसके शरीर में ऐसा कोई mechanism नहीं होता कि वो ज़मीन पर पलट के सीधा हो जाए. ऐसी स्थिति में वो बेहद खतरे में भी होता है क्योंकि उसका मज़बूत खोल, जो उसे सुरक्षा प्रदान करता है, वो नीचे और उसका नाजुक पेट ऊपर खुला हुआ….

अब ज़रा 11 मार्च की कल्पना कीजिये…. 11 मार्च को अखिलेश यादव की सपा Turn turtle हो जाएगी.

इसके साथ ही भाजपा ने बसपा का भी आधा वोट बैंक तो तोड़ लिया है. शेष अगले 10 साल में….

आने वाले समय में भाजपा का विस्तार बंगाल, ओडिशा, आंध्र, तेलंगाना, तमिलनाडु और केरल में होगा.

जमीन यहाँ तैयार है. बीज भी पड़ चुका है. ओडिशा में तो निकाय चुनाव में दस्तक दे दी है… क्षेत्रीय दलों के दिन लद गए.

कच्छ की रण का गधा भारत विजय पर निकला है…. मोदी का गर्दभमेध यज्ञ चालू छे….

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