असहिष्णुता – भाग 2 का आगाज़ हो चुका है. राष्ट्र विरोधी ताकतों के सामने अब यही एकमात्र रास्ता बचा है. ‘अब नहीं तो कभी नहीं’ वाले हालात हैं इनके सामने.
एक बड़ी राष्ट्रीय पार्टी की मौत होने जा रही है… देश के एक बड़े राज्य से एक विशेष परिवार के गिरोह का सफाया होने जा रहा है.
दलित राजनीति अप्रासांगिक होने के कगार पर है. मुस्लिम वोट बैंक कारगर साबित नहीं हो रहा है.
जिधर निगाहें जाती हैं राष्ट्रवाद का परचम लहराता दिख रहा है. उड़ीसा-महाराष्ट्र के निकायों से लेकर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड एवं गोवा में भगवा लहर की धूम मची हुई है.
विरोधियों में दहशत एवं अफरातफरी का माहौल है, ऐसे में उनके पास सिर्फ एक ही रास्ता बचा है और वो है असहिष्णुता वाला खेल दुबारा खेलना.
हालात वैसे ही बनने लगे हैं. विभिन्न क्षेत्रों के चर्चित लोगों के बयान आने लगे हैं, राजनीतिक पटल पर भी रस्साकस्सी शुरू हो चुकी है.
ऐसे में अब समय आ गया है जब सभी राष्ट्रवादी ताकतों को इनका जम कर मुकाबला करना होगा, भरपूर ताकत के साथ.
इस बार वो पहले से भी ज्यादा ताकत लगाएँगे क्योंकि यह उनके अस्तित्व का प्रश्न है.
ध्यान रहे इस बार साँप के फन को सिर्फ कुचलना नहीं है धड़ से अलग करना होगा. अभी माहौल आपके पक्ष में है.
लेकिन एक बात जरूर याद रहे, यदि इस बार आपने उन्हें हावी होने दिया तो यह आपके अस्तित्व के लिए भी उतना ही घातक सिद्ध होगा.