आज मैंने घूम-घूम कर बहुत से सेक्युलर विचारकों – विश्लेषकों की सोशल मीडिया टाइमलाइन देखी.
जैसे-जैसे 11 मार्च नज़दीक आ रहा है, लोग शायराना – आशिकाना हो रहे हैं. किसी भी सेक्युलर प्राणी ने महाराष्ट्र और ओडिशा के जनादेश की समीक्षा नहीं की है.
11 मार्च को 11 बजे के आसपास, थोक के भाव सोशल मीडिया अकाउंट बंद (deactivate) कर भागेंगे लोग.
फिलहाल पूर्वांचल की रिपोर्ट ये है कि यादव युवा जो समाजवादी कुनबे की नौटंकी से भ्रमित हो वापस अखिलेश यादव के पाले में चला गया था, अब वापस मोदी के पास आ गया है.
आज की स्थिति ये है कि 35 वर्ष तक के युवा यादव भाजपा को वोट देंगे. सयाने बुज़ुर्ग अभी भी समाजवादी बने हुए हैं.
युवा यादवों का मोदी की ओर लौटने का एक कारण और भी है…. मुस्लिम वोट एकतरफा बसपा की तरफ स्थानांतरित हो गया है. पूर्वांचल में मुख्तार अंसारी ने समाजवादियों का खेल बिगाड़ दिया है.
टिप्पू भैया अभी बच्चे हैं. मुलायम, शिवपाल, अमर सिंह राजनीति के घुटे-मंजे खिलाड़ी हैं. वो जानते हैं कि फर्जी आदर्शवाद से वाहवाही तो लूटी जा सकती है पर सीट नहीं जीती जा सकती.
प्रैक्टिकल राजनीति का तकाजा ये है कि चोर, डाकुओं, बदमाश, माफियाओं को गरियाते रहो और उनकी ही थाली में खाते रहो.
यहाँ टिप्पू चूक गए और मुख्तार अंसारी मजबूरन हाथी पर चढ़ गए जबकि उनकी पहली पसंद साइकिल ही थी.
फिलहाल ये स्थिति है कि पूर्वांचल में समाजवादी पार्टी का कोई नामलेवा नहीं बचा है. सिर्फ अहीरों से सीट नहीं जीती जाती.
मुसलमान सब मुख्तार के पीछे-पीछे गए बसपा में और ओबीसी गए भाजपा में. सपा का पलड़ा कमजोर देख आखिरी दिन अहीर भी बसपा के खिलाफ भाजपा को वोट कर सकते हैं.
पूर्वांचल में लड़ाई बसपा बनाम भाजपा है जिसमें भाजपा को स्पष्ट बढ़त है. उसने समूचे गैर यादव ओबीसी और गैर चमार दलित को अपने पक्ष में कर लिया है. सवर्ण पहले से उसके साथ थे.
सपा का जनाजा उठ चुका… मर्सिया गाइये…