चुनाव चिह्न शायद इस दिन के लिए भी बनाया गया था…
प्रत्याशी को पहचानते हैं… अच्छी बात है… अगर नहीं पहचानते तो कोई बात नहीं…
आपकी जात-बिरादरी, समाज का है… अच्छी बात है… अगर नहीं है तो कोई बात नहीं…
जनहित के काम करने वाला, जनता की परेशानियां सुनने/सुलझाने वाला है… अच्छी बात है… अगर ऐसा नहीं तो “इस बार” कोई बात नहीं…
ऊपर के तीन बिन्दुओं का जवाब अगर सकारात्मक है तो उसे बोनस समझिए और अगर नकारात्मक है तो कोई बात नहीं…
कोई बात इसलिए नहीं कि अगर यूपी ने 2017 में 2014 दोहरा दिया तो हम अपनी आँखों के सामने चमत्कार घटते देखेंगे….
कोई बात इसलिए भी नहीं कि मोदी जी में अन्य सारी खूबियों के साथ एक ख़ास खूबी ये भी है कि वे कुछ भी भूलते नहीं…
सो, प्रत्याशी से अपरिचय, उसका जात-बिरादरी का न होना, याद नहीं रखना है…
याद रखना है सिर्फ चुनाव चिह्न – कमल याद रहे, ये मौका गंवा दिया तो इस गुमान में मत रहिएगा कि 5 साल बाद फिर भूल सुधार का मौका मिल जाएगा…
भय-भूख और भ्रष्टाचार का ऐसा नाच होगा कि न जाने कितने कैराना बनेंगे…
सो शुभ… मंगल… सावधान… मतदान अवश्य करें और औरों को भी प्रेरित करें कि ‘कमल का बटन दबाना है, मोदीजी को जिताना है’