चेन्नई. तमिलनाडु के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री ई के पलानीस्वामी को शनिवार को विधानसभा में अपना बहुमत साबित करना है. द्रमुक और कांग्रेस के अलावा पलानीस्वामी को अपने ही दल के विधायकों द्वारा विश्वासमत के खिलाफ voting करने का डर है.
विश्वास मत की पूर्व संध्या पर पलानीस्वामी गुट को उस वक्त झटका लगा जब विधायक और राज्य के पूर्व डीजीपी, आर नटराज ने कहा कि वे मुख्यमंत्री के विश्वास प्रस्ताव के खिलाफ मतदान करेंगे.
नटराज के इस कदम से 234 सदस्यों वाली विधानसभा में पलानीस्वामी के कथित समर्थक विधायकों की संख्या कम होकर 123 हो गई है. अन्नाद्रमुक ने वरिष्ठ पार्टी नेता के ए सेनगोट्टायन को सदन में पार्टी का नेता चुनाव है.
उधर, द्रमुक के कार्यकारी अध्यक्ष एम के स्टालिन ने कहा कि उनकी पार्टी पलानीस्वामी सरकार के विश्वास मत के खिलाफ मतदान करेगी जबकि विश्वास मत को लेकर कांग्रेस ने अभी रुख साफ नहीं किया है.
तमिलनाडु कांग्रेस समिति के प्रमुख सू थिरूनावुक्करासर ने कहा कि पार्टी आला कमान की सलाह के बाद वोटिंग पर फैसला किया जाएगा.
एआईएडीएमके विधायक नटराज ने कहा, ‘मैं इदाप्पडी के पलानीस्वामी सरकार के विश्वास मत के प्रस्ताव के खिलाफ मतदान के लिए विवश हूं.’
मायापोर विधायक नटराज ने कहा, ‘मैंने अपने विधानसभा क्षेत्र में लोगों से बात की और उनमें से अधिकतर की राय है कि ओ पनीरसेल्वम की सरकार को बने रहना चाहिए और मुझे विधानसभा के लोगों की राय को विधानसभा में प्रतिबिंबित करना होगा.’
नटराज ने एक सवाल के जवाब में कहा कि वो इसे विश्वास मत के तौर पर नहीं बल्कि ‘अंत:करण’ के मत के तौर पर देखता है.
नटराज के इस कदम से पहले पलानीस्वामी ने 124 विधायकों के समर्थन का दावा करते हुए कहा था कि उनकी सरकार टिकी रहेगी.
वहीं, उनके प्रतिद्वंद्वी और पूर्व मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम ने शशिकला और उनके परिवार के खिलाफ तब तक अपनी जंग जारी रखने का फैसला किया है ‘जब तक अम्मा (जयललिता) का शासन बहाल नहीं हो जाता.’
पनीरसेल्वम के पास अब 11 विधायकों का समर्थन है लेकिन अगर वे पलानीस्वामी गुट के कुछ और विधायकों को अपने पक्ष में करने में कामयाब हो जाते हैं तो वे उसे अल्पमत की सरकार बना सकते हैं. 234 सदस्यों वाली विधानसभा में अन्ना द्रमुक के 134 विधायक हैं.
राज्यपाल चौधरी विद्यासागर राव ने नई सरकार को सदन में बहुमत साबित करने के लिए हालांकि 15 दिनों का समय दिया था लेकिन अन्नाद्रमुक की महासचिव वी के शशिकला के वफादार माने जाने वाले पलानीस्वामी ने दो दिन में ही बहुमत साबित करने का फैसला किया है.