ये किस्सा मैं बीसियों बार पहले लिख चुका हूँ. आज फिर मौक़ा भी है, दस्तूर भी है…. एक बार फिर सुनाने का.
यूँ भी मेरी पोस्ट मानो पंडित जी का राग दरबारी…. जब भी सुनो, नया मज़ा….
तो हुआ यूँ कि कुछ फिलिस्तीनी छोकरों ने इज़रायली सैनिकों पर पत्थर बरसाये. इज़रायल ने बदले में मिसाइल से हमला किया. कुछ फिलिस्तीनी सैनिक मारे गए.
अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में बवाल मचा. कहा गया कि ये तो दादागिरी है जी…. पत्थर के बदले मिसाइल?
अल जज़ीरा पर पैनल डिस्कशन चल रहा था. एंकर ने इज़रायल के रक्षा मंत्री को भी लाइन पर ले लिया.
पूछा…. पत्थर के जवाब में मिसाइल? ये तो शक्ति का नाजायज़ इस्तेमाल है….
रक्षा मंत्री जी बोले, जनाब हमारे सैनिकों के पास पत्थर नहीं हैं.
एंकर ने सवाल पूछा…. आपने रिहायशी इलाकों पर मिसाइल हमला किया.
रक्षा मंत्री ने जवाब दिया…. हमास के लड़ाकों से कहिये, अपनी बीवियों के पीछे छिपना बंद करें. फौजी हैं, बैरक में रहें.
हमला कर के अपनी बीवी बच्चे के पीछे जा के छिप जाते हैं. लड़ाके अगर घरों में, रिहायशी इलाकों में, अस्पतालों में और स्कूलों में जा के छिपेंगे तो हम वहीं मारेंगे.
उनसे कहिये कि स्कूलों , अस्पतालों और रिहायशी इलाकों को युद्ध भूमि न बनाएं.
ठीक यही मर्दानगी, इसी दिलेरी की बात COAS मने Chief of Army Staff यानी Army chief ने कही और इसकी पुष्टि माननीय रक्षा मंत्री श्री मनोहर जी पर्रीकर ने की.
युद्ध भूमि में, जहां आतंकवादियों के साथ फ़ौज की मुठभेड़ चल रही हो, अगर कोई भटका हुआ, मासूम सा, एकदम चिकना कश्मीरी छोकरा….
ऐसा कोई कश्मीरी लड़का फ़ौज पर पत्थर बरसाता अगर एनकाउंटर भूमि में आ गया तो हमारा फौजी…. पेल देगा….
लिहाजा चिकने लौंडे एनकाउंटर भूमि से दूर रहे.
अगर मासूम चिकने छोकरों के अधिकार हैं तो जान लीजिए कि हमारा फौजी भी घर परिवार से दूर….