लखनऊ. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस को अखिलेश यादव मंत्रिमंडल के वरिष्ठ सदस्य गायत्री प्रजापति के खिलाफ एफआईआर दर्ज़ करना ही पड़ी.
एक महिला के साथ कथित रूप से गैंग रेप और उसकी बेटी के साथ बलात्कार की कोशिश के आरोप में शनिवार को प्रजापति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई. शुक्रवार को ही सुप्रीम कोर्ट ने प्रजापति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था.
हजरतगंज के पुलिस क्षेत्राधिकारी अविनाश कुमार मिश्र ने बताया है कि प्रजापति और उनके छह साथियों के खिलाफ पॉक्सो अधिनियम सहित बलात्कार एवं बलात्कार की कोशिश संबंधी विभिन्न धाराओं में आज गौतमपल्ली पुलिस थाने पर मुकदमा दर्ज किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश पुलिस को निर्देश दिया था कि वह इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करके आठ सप्ताह के भीतर मामले की स्थिति रिपोर्ट दाखिल करे.
प्रजापति पर 35 वर्षीय एक महिला का आरोप है कि जब वह उनसे तीन वर्ष 2014 में पहले मिली थी तो उन्होंने उसके साथ बलात्कार किया. प्रजापति ने पीड़िता के कुछ आपत्तिजनक फोटो लिये और इन तस्वीरों को सार्वजनिक करने की धमकी देकर वह दो साल तक महिला के साथ बलात्कार करते रहे.
महिला का आरोप है कि जब मंत्री और उसके साथियों ने उसकी नाबालिग लड़की की इज्जत पर भी हाथ डालने की कोशिश की तब उसने इस मामले में पुलिस में मुकदमा दर्ज कराने का फैसला किया.
महिला के मुताबिक़ उत्तरप्रदेश पुलिस ने मुलायम सिंह के कृपापात्र मंत्री के खिलाफ उसकी शिकायत नहीं सुनी जबकि उसने पुलिस महानिदेशक तक गुहार लगायी.
उसका कहना है कि जब उसकी शिकायत नहीं सुनी गयी तब उसने अदालत की शरण में जाने का फैसला किया.
उल्लेखनीय है कि अमेठी विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी गायत्री प्रजापति वही मंत्री हैं जिन्हें मुलायम सिंह यादव के दखल के बाद फिर से मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था.