सार्वजनिक होंगे गांधी वध से जुड़े दस्तावेज़ और हुतात्मा गोडसे का बयान!

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नई दिल्ली. हुतात्मा नाथूराम गोडसे के बयान और गांधी की हत्या से जुड़े मुकदमे के सारे दस्तावेज सार्वजनिक किये जायेंगे. केंद्रीय सूचना आयोग ने 20 दिनों के अंदर सारी जानकारी मुहैया कराने का आदेश दिया है.

सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलु ने कहा, ‘कोई नाथूराम गोडसे और उनके सह-आरोपी से इत्तेफाक भले ही ना रखें, लेकिन हम उनके विचारों का खुलासा करने से इनकार नहीं कर सकते.’

इस संबंध में पूरी जानकारी मांगने वाले आशुतोष बंसल ने बताया कि उन्हें इस संबंध में जानकारी मिलने में काफी परेशानी हुई. आशुतोष ने महात्मा गांधी की हत्या से जुड़ी चार्जशीट समेत नाथूराम गोडसे के बयान की भी मांग की थी.

उनकी इस याचिका पर जवाब देते हुए दिल्ली पुलिस ने कहा, संबंधित जानकारी राष्ट्रीय अभिलेखागार (नेशनल आर्काइव्ज) को भेज दी गयी है. आप वहां से जानकारी ले लें.

आशुतोष को जब जानकारी नहीं मिली, तो उन्होंने इसकी शिकायत केंद्रीय सूचना आयोग से की. उन्होंने केंद्रीय सूचना आयोग में अपील दायर की. केंद्रीय सूचना आयोग ने इस संबंध में जानकारी देने के लिए कहा, जिस पर दिल्ली पुलिस और भारतीय अभिलेखागार ने कोई आपत्ति नहीं जतायी.

सूचना आयुक्त आचार्युलु ने कहा, इस घटना को अब 20 साल से ज्यादा हो गया है. आरटीआई कानून के सेक्शन 8(1)(a) के अनुसार इसे अब गोपनीय नहीं रखा जा सकता. इस सेक्शन के तहत देश की सुरक्षा या दूसरे देशों से रिश्तों को प्रभावित करने वाली सूचनाएं सार्वजनिक नहीं की जा सकती हैं.

आचार्युलु ने कहा कि इस मामले में सेक्शन 8(1)(a) लागू नहीं होता क्योंकि गोडसे के बयान से हिंदू और मुस्लिम समुदाय के बीच शत्रुता नहीं फैलेगी.

सूचना आयुक्त ने यह भी कहा ‘न ही नाथूराम गोडसे और न ही उनके सिद्धांतों और विचारों को मानने वाला व्यक्ति ही किसी के सिद्धांत से असहमत होने की स्थिति में उसकी हत्या करने की हद तक जा सकता है.’

गौरतलब है कि नाथूराम गोडसे ने राष्ट्रपति महात्मा गांधी की हत्या 30 जनवरी 1948 को कर दी थी. नाथूराम गोडसे के अदालत में दिये गये बयान को लेकर कई तरह के विवाद हैं. सोशल मीडिया और अन्य जगहों पर नाथूराम गोडसे के बयान को शेयर किया जाता रहा है.

केंद्रीय सूचना आयोग ने आदेश दिया है कि महात्मा गांधी की हत्या से जुड़े मुकदमे में नाथूराम गोडसे के बयान सहित अन्य संबंधित रेकॉर्ड को तुरंत नैशनल आर्काइव्ज (राष्ट्रीय अभिलेखागार) की वेबसाइट पर सार्वजनिक किया जाए.

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