‘इसरो’ की उपलब्धि ‘विज्ञान’ और ‘व्यवसाय’ का उत्तम संगम है.
व्यावसायिक दृष्टि से, कल विदेशी उपग्रहों के प्रक्षेपण से ‘इसरो’ ने -एक अनुमान के अनुसार- लगभग 1500 करोड़ रुपये विदेशी मुद्रा अर्जित की जो पिछले वर्ष – प्रेस इन्फोर्मेशन ब्यूरो के अनुसार – केवल 230 करोड़ रुपये थी, और इस तरह इस वर्ष ‘इसरो’ का वार्षिक लाभ कई गुना बढ़ जाने का आकलन है.
वैज्ञानिकतः, किसी भी अंतरिक्ष-मिशन की दुरुस्ती या ‘प्रिसिजन’ में एक प्रतिशत की भी कमी का अर्थ होता है सौ प्रतिशत विफलता; स्पष्ट है कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह मिशन निःसंदेह विशाल उपलब्धियों वाला है.
अंतर्राष्ट्रीय-विश्वास की बात करें तो विदेशियों द्वारा इतनी बड़ी संख्या में उनके अपने कीमती और महत्वपूर्ण उपग्रहों के प्रक्षेपण का कार्य भारत को सौंपा जाना ही सब कुछ कह देता है और इस क्षेत्र में भारत की सौ प्रतिशत सफलता दर को भी गौरव के साथ रेखांकित करता है.
कल इन उपग्रहों के विश्व कीर्तिमान वाले सफल प्रक्षेपण के बाद नासा के एक वैज्ञानिक ने कहा कि भारत अपनी गौरवशाली परम्पराओं के साथ साथ विज्ञान के क्षेत्र में एक अग्रणी राष्ट्र है. एक भारत श्रेष्ठ भारत. जय हो !
(सन्दर्भ : (1). Press Bureau of Information, (2). Money control, (3). ISRO’s commercial arm Antrix Corporation Ltd’s annual report : 2015-16)