आज के दिन की सबसे बड़ी खबर तो खैर उत्तरप्रदेश में विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान ही है. उम्मीद है कि इसमें कुछ-कुछ अनुमान लगने लगेगा कि कौन किस तरफ अपने मतों का प्रयोग कर रहा है.
पर मेरा विषय कुछ और है. पिछले दो दिनों में दो समाचार मिले जो कम से कम मुझे बेहद उत्साहवर्धक लगे. दोनों ही समाचार न्यायपालिका से संबंधित हैं.
सर्वोच्च न्यायालय जो विगत दो सालों में अपने ढुलमुल रवैये को लेकर विवादग्रस्त रहा है… इन समाचारों से लगता है कि उसने कुछ तेज़ी पकड़ी है.
कल से पहले यही उम्मीद थी कि पिछले अरसे में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राजनीतिज्ञों के खिलाफ नरम व्यवहार का अनुसरण करते हुए, शशिकला को खराब स्वास्थ के हवाले कुछ दिन और गिरफ्तारी से बचने देगी.
लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने शशिकला की प्रार्थना को अस्वीकार कर दिया और उन्हें दोषी माना. जिस के कारण अब उनकी गिरफ्तारी तय है.
इसी के साथ सर्वोच्च न्यायालय ने आज बिहार की सिवान जेल में बन्द राष्ट्रीय जनता दल के बाहुबली नेता शहाबुद्दीन को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है.
शहाबुद्दीन के खिलाफ बिहार में कई आपराधिक मुक़दमे चल रहे है और सर्वोच्च न्यायालय के संज्ञान में यह लाया गया था कि सिवान की जेल में बन्द शहाबुद्दीन इन मुकदमों पर अपने आपराधिक और राजनैतिक प्रभाव का प्रयोग कर रहे हैं.
सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया है कि शहाबुद्दीन को एक हफ्ते के अंदर सिवान जेल से दिल्ली के तिहाड़ जेल में स्थानान्तरित कर दिया जाए.
अब उनके मुकदमों की सुनवाई के दौरान उनको बिहार की अदालतों में हाजिरी की आवश्यकता नहीं है बल्कि उनके मुकदमों की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा तिहाड़ जेल से ही होगी.
मुझे इन निर्णयों से सर्वोच्च न्यायालय अपनी खोयी छवि को फिर से प्राप्त करता हुआ दिख रहा है.