हाय रे खेती किसानी… जब से ये मोदी आया है… तब से लहसुन के भाव नीचे नहीं आ रहे. 5000 रूपए से 15000 रूपए क्विंटल तक बिक रही है… और तो और, देशी चना और डॉलर चना भी 5000 से 15000 रूपए तक बिक रहा है.
अभी मेरा एक मित्र इंदौर मंडी गया था लहसुन लेकर… माल की स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं थी पर फिर भी 5700 रूपए के भाव पर बिकी. 20 क्विंटल हो गयी थी. यानी पूरे 1 लाख 14 हज़ार रूपए की.
उससे बात हुई थी तो वह फूले नहीं समा रहा था और ज़ोर-ज़ोर से सरकार को गाली दे रहा था…
समझ में नहीं आ रहा है… हम किसानों को इतने पैसों की आवश्यकता नहीं है. हम क्या करेंगे इतनी रकम का… हम तो थोड़े पैसों में जीने वाले लोग है…
हम तो सिर्फ जिस फसल का दाम नहीं मिलता, बस उसके बारे में चिल्लाते हैं, क्योंकि हमें तो सिर्फ सरकारों का विरोध करना है क्योंकि सरकार हमें कुछ देती तो है नहीं.
ये जो अभी फसल है चने और लहसुन की… इसमें हम कहां कमा रहे हैं… इसमें तो सिर्फ ये व्यापारी और बिचौलिये कमा रहे हैं… हम तो सिर्फ खेतों काम कर रहे हैं…
मित्रों, अभी हमारे क्षेत्र में किसान खुद ही अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार रहा है… आइये मैं समझाता हूँ कि हो क्या रहा है?
लहसुन के अच्छे दाम चल रहे हैं जिसके कारण किसान बिन पकी लहसुन भी ले जा रहा है, जिससे भाव लगातार नीचे आ रहे हैं.
जब भाव पूरी तरह नीचे आ जाएंगे, तब यही किसान कहेगा कि सरकार ने जब से नोटबंदी की है तब से फसल के दाम बढ़ नहीं रहे हैं.
अब आप ही बताइए… ज़िम्मेदार कौन है इस सब के पीछे… सरकार या हम…
– विजय सिंह कानवन