आक्रमण के हथियार बदल गए हैं : 11

गतांक से आगे…

व्यावसायिक आक्रमण

इन 20 सालो में भारत पर व्यापारिक / आर्थिक / व्यावसायिक आक्रमण जोरों पर चल रहा है. बहुत से सारे पारंपरिक व्यवसाय हिंदुओं के हाथ से निकल रहे हैं. बहुत सारे धंधे पर मुसलमान कब्ज़ा जमा चुके हैं, वे भी देशद्रोही वामपंथियों की सक्रिय सहायता से. मैं कुछ धंधों की गिनती करवाता हूँ. कुछ छूट जाएँ तो आप उन्हें जोड़ लेना मित्रों.

मुसलमान इस मामले में सब से अधिक आक्रामक हैं. देखते हैं कौन से धंधे हैं जिन पर उन्होंने कब्जा किया है. जिन्हें हम कानूनन वैध धंधे कह सकते हैं वे ये हैं :

1. फलों का व्यापार- जूस दुकान
2. इत्र के कच्चे माल का व्यापार.
3. सिलाई का काम.
4. कच्चे मांस का व्यापार.
5. कच्चे चमड़े का व्यापार.
6. जानवरों की चर्बी का व्यापार.
7. कबाड़ी का व्यापार.
8. कूड़ा उठाने का व्यापार.
9. मोटर मेकेनिक का काम.
10. बाइक रिपेयरिंग का कारोबार.
11. प्लम्बर, इलेक्ट्रीशियन का कारोबार.
12. बड़े शहरों में सैलून, ब्यूटीशियन, हेयर कटिंग का कारोबार.
13. महिलाओं के अंडर गारमेंट्स का कारोबार.
14. श्रंगार प्रसाधनों का कारोबार.
15. चूड़ियों का कारोबार.
16. सेक्स की दवाओं का कारोबार.
17. इत्र का कारोबार.
18. बेकरी का धंधा.
19 .बारूद, पटाखे का कारोबार
20. Tour & Travel agencies
21. शादी विवाह में फोटोग्राफी.

मुसलमान, एक हुनरमंद समाज है. हाथ के हुनर से कमा कर खाने में विश्वास रखता है. यह अपने आप में एक बहुत पॉज़िटिव गुण है. लेकिन ऊपर वर्णित धंधे हिन्दुओं से कैसे छीने गए यह एक रोंगटे खड़े कर देने वाला षडयंत्र है, और इसके दोषी कौन हैं यह भी देखते जाइएगा.

अगर आप ऊपर दिये कामों की सूची देखेंगे तो पाएंगे कि इनमें बहुत सारे काम हैं जो हिन्दू किया करते थे. मांस, चमड़ा आदि काम तो करोड़ों के कारोबार हैं. इनमें से हिंदुओं को कैसे बाहर किया गया?

यही वामपंथ का षडयंत्र है. उन्होंने इन धंधों को करने वालों को यही समझाया और वह भी भड़कीले, भड़काऊ अंदाज में – atrocity literature के निर्माण से – कि ये काम नीच हैं, इन्हें छोड़ दो.

कभी भी यह न समझाया कि सरकारी योजनाओं का लाभ लो, खटीक से मीट प्रोसेसर, मीट एक्सपोर्टर बन जाओ, चर्मकार से लेदर इंडस्ट्रियलिस्ट बन जाओ, सरकारी, सहकारी योजनाओं का लाभ उठाओ, क्योंकि इन व्यवसायों की निरंतर मांग है, ये कभी नहीं बंद होनेवाले और न इनकी कमाई कम होनेवाली.

नहीं, वामियों ने आज तक यह नहीं बताया और आज भी नीले चोले को ओढ़े, बाबा का नाम लेते लेते बाबा के बेटों को सीख देकर बड़े नहीं कर रहे है, बस अपने संघर्ष के लिए संगठित कर रहे हैं, ताकि देश का सुचारु रूप से चलना मुश्किल हो जाये.

आज भी जब इस समाज से पुनरुज्जीवन की बात होती है, कोई न कोई वामपंथी सियार, भले ही नीला चोला पहना हो, अंदाज थोड़ी ही बदल सकता है – हुआं-हुआं शुरू कर देता है और तुरंत बाकी सब लाल सियार, हरे भेड़िये और इटालिए, मामला आगे न बढ़ाने देने में जुट जाते हैं.

वामपंथियों ने हिन्दू समाजों से ये पारंपरिक व्यवसाय उन्हें शर्मिंदा कर के छुड़वाए और मुसलमानों के हाथों सौंप किए. वे तैयार ही बैठे थे, लपक लिए. बाद में उनसे वे व्यवसाय हिंदुओं को वापस दिलाने में काँग्रेस को कभी रुचि थी ही नहीं, हरे-हरे वोट बैंक जो थे.

कभी हिंदुओं ने छुट-पुट कोशिश की तो भाई लोग से हिंसा का वास्तविक भय और कॉंग्रेस सरकारों की पक्षपाती अकर्मण्यता ने उनके हौसले पस्त कर दिये.

हिन्दू व्यापारियों का भी इसमें दोष रहा है, शुद्ध शाकाहारियों ने बूचड़खाना जैसे व्यवसायों में हिन्दू को पार्टनर बनाने के बजाय मुसलमान पार्टनर बनाए हैं. तात्कालिक लाभ के पीछे ये न समझे कि जो उनके साथ सोया, आज नहीं तो कल जरूर रोया.

दुर्भाग्य यह है कि वामी, व्यापारी और कांग्रेस के ये सभी लोग जन्मना हिन्दू ही हैं. अवतार तो सब आ कर चले जाते हैं, चिरंजीवी तो विभीषण ही रहा है.

ऊपर दिये वैध धंधों के अलावा अवैध धंधों में भी कौन हावी हैं आप जानते ही हैं. वहां तो उनका संचार यूं सहज है जैसे बत्तख का जल में. जैसे कि वेश्यावृति से कमाई का धंधा, लड़कियों की तस्करी का धंधा, ड्रग्स और नशीले पदार्थों की तस्करी, हथियारों और गोला बारूद की तस्करी, नकली नोटों की तस्करी, चोरी, चेन स्नैचिंग, पाकेटमारी, मटका, जुआ इत्यादि, गायों की तस्करी.

अगर आप कहें कि ये सभी कृत्य संबन्धित हैं तो एक ही क्राइम क्यों नहीं लिखा तो जवाब यह दूँगा कि सभी स्पेशलायज़ेशन हैं अपने आप में, एक-दूसरे में हस्तक्षेप नहीं करता. खून खराबा हो जाता है.

हाँ, बाकी सरकार या कॉमन शत्रु के विरोध में वयं पंचाधिकम शतम – हम 100 विरुद्ध पाँच नहीं, हम सौ धन पाँच = एक सौ पाँच हैं वाली युधिष्ठिर की सलाह का पालन करते मिलेंगे.

मिशनरी हमारे वंचित-वर्ग को लालच के सहारे धर्मांतरण करवा कर नौकरियों में घुसा रहे हैं. कभी मित्रों से पूछकर देखिये, एचआर में कितने ईसाई मिलेंगे. बहुत सायलेंट काम हो रहा है, और हिन्दू को सायलेंट भी किया जा रहा है.

उन्होंने पूरी योजनापूर्वक 100 साल पहले प्राइमरी/ स्कूली शिक्षा क्षेत्र पर कब्जा जमा लिया. उनके सहारे वे मोटी रकम निकालते हैं. बल्कि इस फील्ड का पूरा रोजगार ही उनके कब्जे में आ चुका है.

इस से संबन्धित और इससे निष्पादित व्यवसाय और नौकरियों में कब्जाए / जमे जा रहे हैं. एजुकेशन का नाम ले कर वे वनवासी / वंचितों में घुस कर मतांतरण करते है और उसे सनातन समाज से पूरी तरह काट देते है.

बाकी हम क्या कर रहे हैं, इसकी चर्चा न करके, हम क्या कर सकते हैं इस पर फोकस करना सही होगा. जो हम से गरीब हैं उनका ख्याल रखें, अपने साथ जोड़ें. उनके यहाँ हिन्दू को क्या काम मिलता है जरा देखें, अपने यहाँ लोगों को काम पर रखने की नीति निर्धारित करें. अलिखित हो तो भी उस पर अमल करें.

क्रमश: 12

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