यूपी को ये साथ पसंद है! ये खुद को कितना पसंद हैं?

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वैसे तो सपा-कांग्रेस के गठबंधन पर मुलायम सिंह यादव की शुरूआती टिप्पणी ‘कांग्रेस से गठबंधन कर अखिलेश…. समाजवादी पार्टी को बर्बाद कर देगा‘ ही भविष्यवाणी साबित होने जा रही है इस गठबंधन के लिए, लेकिन आइये जरा देखें कि जिस ‘साथ पसंद है!’ के नारे को लेकर शुरूआती बोहनी की थी, एक राजनैतिक रजवाड़े कुमार और दूसरे नवसामंत कुमार ने, वो कितना अमल में है?

कांग्रेस और सपा का गठबंधन उत्तर प्रदेश में हकीकत की ज़मीन पर कितना एक-दूसरे के साथ है इसकी बानगी देखिये : ध्यान रहे…. ये हिसाब अभी… पहले दो चरणों के साथ तीसरे चरण की अब तक 209 सीटों के हैं, जहां नामांकन की प्रक्रिया पूरी हो गई है.

घोषित तौर पर दो दर्जन से ज्यादा और हकीकत में लगभग 100 सीटों पर न सिर्फ सपा के शिवपाल गुट, मुलायम के चढ़ाए हुए, बागी या कांग्रेस के अधिकृत, बागी उम्मीदवार मैदान में हैं… जिनके बीच इनके वोटर की असमंजस दौड़ हो रही है.

महराजपुर में अरुणा तोमर सपा तो राजाराम पाल कांग्रेस से, जैतपुर विधानसभा क्षेत्र में रामगोपाल रावत सपा तो तनुज पुनिया कांग्रेस से, कोल विधानसभा क्षेत्र में अज्जु इशहाक सपा से और विवेक बंसल कांग्रेस से, भोगनीपुर क्षेत्र में नितिन सचान कांग्रेस से व योगेंद्र पाल सपा से, लखनऊ मध्य क्षेत्र में रविदास सपा से तो मारूफ खान कांग्रेस से, चांदपुर बिजनौर में अरशद सपा से तो शेरबाज कांग्रेस से, गंगोह विधानसभा क्षेत्र में इन्द्रसेन सपा से और नुमाद मसूद कांग्रेस से, हरगांव में मनोज राजवंशी सपा से तो बनवारी लाल कांग्रेस से, आर्यनगर विधानसभा क्षेत्र में अमिताभ बाजपेयी सपा से और प्रमोद जयसवाल कांग्रेस से, कानपुर कैंट में मो रूमी सपा और सोहेल अंसारी कांग्रेस से, पुरकाजी क्षेत्र में उमा किरण सपा से तो दीपक कुमार कांग्रेस से, बलदेव विधानसभा क्षेत्र में विनेश कुमार कांग्रेस से तो रणवीर सपा से आमने-सामने ताल ठोक रहे हैं.

अंतिम चरणों वाले इलाकों की बात करें तो इलाहबाद की तीन सीटों… बारा, कोरांव और सोरांव पर कांग्रेस और सपा के उम्मीदवार आमने सामने हैं.

गोरखपुर सदर विधानसभा से राणा राहुल कांग्रेस से तो राहुल गुप्ता सपा के उम्मीदवार हैं, पर्चा खरीदी और भराई शुरू है.

अमेठी में संजय सिंह कांग्रेस से अपनी पत्नी अमिता सिंह को कांग्रेस से उतार कहते हैं सपा का उम्मीदवार गायत्री प्रजापति चोर है.

अभी कई चरण बाकी हैं साहेब, किस्से ऐसे कई और हैं. आंकड़े 150 से ऊपर होंगे.

तो यह है वो साथ…. जिसकी पसंदगी को जबरिया ठूंसा गया यूपी के मुंह में…! लेकिन ये साथ हकीकत की ज़मीन पर इन्हें कितना पसंद है इसका सच सामने है.

ऐसा भी कोई ठगबंधन देखा है आपने! जहां 5 साल राज करने वाले एक नवसामंत समाजवादी बाबू…. अपने राज के दंगों, अवैध कब्जों, भू और खनन घोटालों के साथ इन माफियाओं, बलात्कारों, दलित अत्याचारों, हर रुकी सरकारी भर्तियों, प्रदेश में ग्रामीण विकास के लिए केंद्रीय बजट 14वें वित्त आयोग से पंचायतों को रूपये निकालने से रोकने पर हिसाब देने की बजाय 2014 में सिकुड़ के 44 और यूपी में बिसात भर पसरने के बावजूद भी महज जोड़-घटा के 105 हासिल वाले राजकुमार के साथ हाथ जोड़ के…. ढाई साल वाले की तरफ ऊँगली उठा कर… जनता को जवाब देने की बजाय पूछते हैं… अच्छे दिन आये? अच्छे दिन आये?

अगर आपका काम बोलता है तो फिर आप अपने सूबे की जनता से पूछते क्यों हैं कि अच्छे दिन आये? हे नवसामंत! आपको यकीन होना चाहिए कि यूपी में अच्छे दिन आये. क्योंकि आपका दिल और जनता दोनों जानते हैं जिन एक्सप्रेसवे और मेट्रो को लेकर शुरूआती उड़ान विकास की भरी थी आपने… उसमें केंद्र का कितना हिस्सा है.

बैंक के पासबुक को जॉइंट अकाउंट में बदल भर लेने से हिसाब लेने वालों के न नियम बदलते हैं और न ही नाम भर जुड़ने से बैंक बैलेंस बढ़ता है. क्योंकि हिसाब के लिए नीयत की ईमानदारी और बैलेंस के लिए कमाई चाहिए… जो है नहीं.

क्योंकि आप ही तो कहते हैं कुमारों! मोदी जी ने हमारी जेबों में रखे रुपयों को रद्दी कर दिया.

ये है वो पसंदगी का साथ… वो भी तब, जब…. यूपी में ‘हाथ’ में बची महज दो बची सीटों में से एक अमेठी में ही गठबंधन में…. हमरी अटरिया पे आओ न सवरियां.. जोरा-जोरी बलम होइ जाए… हो रहा है.

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