प्रश्न – ‘रेनकोट पहनकर नहाना’ क्या है?
उत्तर – ये एक मुहावरा है और इसका अर्थ होता है किसी भी अच्छे-बुरे माहौल में रह कर एवं उसकी पूरी जानकारी रख कर भी सब कुछ होने तो देना, पर अपने आपको पूरी तरह बचा लेना. (रेनकोट में मुख्य इंद्रियाँ काम कर रही होती हैं).
प्रश्न – इसका कोई वाक्य प्रयोग?
उत्तर – प्रधानमंत्री रहते मनमोहन सिंह जी, हो रहे घोटालों के समय लगातार रेनकोट पहनकर नहाते रहे.
प्रश्न – ये जवाब तो मोदी की नक़ल है?
उत्तर – नहीं, ये उन लोगों का शंका समाधान है, जो ये समझ रहे हैं कि मोदी ने रेनकोट वाली बात, मनमोहन जी को वास्तव में नहाते हुए छुपकर देखने के बाद कही है.
प्रश्न – ओके. पर यहाँ ‘चंदन विष व्यापत नहीं, लिपटे रहत भुजंग‘ भी तो प्रयोग हो सकता था?
उत्तर– बिलकुल नहीं. चंदन और प्रधानमंत्री मनमोहन जी में कोई तुलना ही नहीं है.
चंदन की संरचना में किसी आम जन का कोई योगदान नहीं होता, वो पूरी तरह प्रकृति प्रदत्त है… जबकि प्रधानमंत्री देश की जनता द्वारा बनाया जाता है…
साँप को लिपटने से रोकने के लिए चंदन के पास कोई कोई उपाय नहीं है, जबकि प्रधानमंत्री को जनता, बुरे को रोकने और अच्छा करने के लिए ही चुनकर भेजती है.
प्रश्न – तो मतलब कि चंदन वाली बात का उदाहरण मनमोहन जी पर नहीं लागू होगा?
उत्तर – होगा… पर केवल विशेषाधिकार विहीन एवं एक आम आदमी के रूप में होने पर ही.