क्योंकि मैं ही प्रथम और मैं ही अंतिम हूँ
मैं ही सम्मानित और मैं ही तिरस्कृत हूँ
मैं ही भोग्या और मैं ही देवी हूँ
मैं ही भार्या और मैं ही कुमारी हूँ
मैं ही जननी और मैं ही सुता हूँ
मैं ही अपनी माता की भुजाएँ हूँ
मैं बाँझ हूँ किंतु अनेक संतानों की जननी हूँ
मैं विवाहिता स्त्री हूँ और कुँवारी भी हूँ
मैं जनित्री हूँ और जिसने कभी नहीं जना वो भी मैं हूँ
मैं प्रसव पीड़ा की सांत्वना हूँ
मैं भार्या और भर्तार भी हूँ
और मेरे ही पुरुष ने मेरी उत्पत्ति की है
मैं अपने ही जनक की जननी हूँ
मैं अपने ही भर्तार की भगिनी हूँ
और वह मेरा अस्वीकृत पुत्र है
सदैव मेरा सम्मान करो
क्योंकि मैं ही लज्जाकारी और मैं ही देदीप्यमान हूँ
……………. Paulo Coelho Eleven Minutes …………….
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