शाम के साथ हो रहे अँधेरे में छिप पुरानी सरकारी स्कूल के पीछे बहने वाले बड़े नाले के किनारे बनी आधी दीवार पर बैठ, अवि अपने सबसे करीबी दोस्त सत्या के साथ 2 रूपये की पार्टी मना रहा था…… 1 रूपये की चॉकलेट, 1 रूपये की सिंगदाना की पुड़िया. एक दूसरे से मन की बात बताते हुए और इन चटर – मटर की चीजों को खाते हुए दोनों को बड़ा मजा आ रहा था.
6 साल के अवि और 7 के सत्या के बीच 1 साल से बड़ी गहरी दोस्ती थी. अक्सर महीने में 2-3 बार दोनों की ऐसी चॉकलेट पार्टी हुआ करती थी. हर पार्टी का पैसा, समय और जगह एक ही होता, लेकिन हर बार खुशी और मजा ज्यादा.
इस 2 रूपये की कुछ ख़ास बात थी. यह उन दोनों के शरारती दिमाग के मेहनत की देन थी. अवि जिस गली में रहता था, उस गली के लोगों का व्यवहार मिलनसार था. अक्सर वहां पड़ोस की औरतें अवि को कुछ सामान दुकान से लाने के लिए भेजा करती थी. संकोच से अवि कभी मना नहीं करता और काम किये जाता था.
अवि और सत्या ने मिलकर इसका फायदा लेने की तरकीब निकाल ली. सामान लाने के लिए दिए गए रूपयों में से 50 पैसे तक की चोरी हुआ करती थी याने 4 रुपये की दही 3.50 रुपये की होती थी और बचे 50 पैसे दोनों की जेब में. इस तरह 2 रूपये जमा हो जाने पर पार्टी हुआ करती थी. 1 साल से ज्यादा हो चुके थे और इसी तरह दोनों की गुप्त पार्टी हुए जी रही थी.
पड़ोस की बीबी एक लम्बे कद की दमदार और जोरदार महिला थी. बूढ़े होने पर भी उसने अपने रुवाबदार मिजाज को बरसों से कायम रखा था. अवि को देख उसने 4 रूपये थमाते हुए कहा, जा लोंगा की दुकान से 4 रूपये का बेसन ले आ.
अवि ने 50 पैसे की अपनी कमाई लेते हुये 3.50 रूपये का बेसन ला, खेलने भग गया. कीड़े पड़े बेसन ने बीबी को नाराज कर दिया. उसने अवि के घर पहुँच उसकी माँ से उसके होने के बारे में पूछा. अवि को ना पा, वह खुद ही लोंगा के दुकान पहुँची और बेसन लौटा दिए.
बदले में मिले 3.50 रूपये ने बीबी के तेज दिमाग को फ़ौरन अवि की चालाकी का सन्देश दे दिया. 10 मिनट में ही यह कहानी अवि के माँ के कानों में थी.
देर शाम लौटने पर अवि के 1 साल पुराने इस व्यवसाय का माँ की 4 चपेटों से अंत हुआ. स्कूल के पीछे के उसी नाले की दीवार पर बैठ दोनों दोस्त बिना किसी पार्टी के आज बतीया रहे थे और बीते पार्टियों की यादों से मजे लिए जा रहे थे.
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