उत्तरप्रदेश की समाजवादी सरकार के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपनी विकास गाथा को जिन दो प्रोजेक्ट्स, के नाम पर बेच रहे हैं, वे हैं – लखनऊ की मेट्रो रेल और लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे. इन्हीं को बनवाने के श्रेय पर अखिलेश का विकास प्रचार टिका हुआ है.
पूरे भारत में मीडिया, अखिलेश के चेहरे को इन दो परियोजनाओं के नाम पर बेच रहा है, जबकि हकीकत में, यह दोनों ही परियोजनाएं अधूरी हैं और इनका उद्घाटन करके प्रचारित करना, उत्तरप्रदेश की जनता के साथ धोखा है.
आज के एक दैनिक समाचार पत्र में लखनऊ मेट्रो रेल कारपोरेशन के हवाले से खबर दी गई है कि कल मंगलवार 7 फरवरी 2017 को मेट्रो रेल की कोचेज़ को ट्रैक पर चढाने में एक बार फिर असफल हुए है. मेट्रो ट्रेन, एलिवेटेड ट्रैक पर अपने ट्रायल रन करने में असफल रही है.
यह कितनी हास्यास्पद बात है कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने सैफई परिवार के साथ जिस मेट्रो परियोजना का 1 दिसम्बर 2016 को उद्घाटन किया था वही मेट्रो ट्रेन अपनी सारी कोचेज़ के साथ ट्रैक पर आगे नहीं बढ़ रही है!
मेट्रो कारपोरेशन ने माना है कि मेट्रो में लगी मोटर, रैम्प पर, ट्रेन लोड नहीं उठा पा रही है. इसका मुख्य कारण, मेट्रो की कोचेज़ की बैलेंसिंग को माना जा रहा है.
साथ में इसके स्पीड और ब्रेकिंग सिस्टम में भी कमी पायी गयी है जिसको सुधारने की कोशिश की जा रही है.
असल में देखा जाय तो यही अखिलेश यादव का उत्तरप्रदेश का लोड न लेने वाला विकास है जिसके स्पीड और ब्रेक के सिस्टम मृत्युशय्या पर पड़े है.