प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को भाषण देने में महारथ हासिल है लेकिन आज के भाषण की खूबी यह थी कि मोदी जी की बॉडी लैंग्वेज और शाब्दिक आक्रमण करने की विधा ठीक वैसे ही थी जैसे एक बाघ की शिकार पर आक्रमण करने से पहले होती है.
यह मैं इस लिए कह रहा हूँ क्योंकि जब बाघ शिकार पर नहीं होता है तब उसके नाख़ून पंजो के अंदर होते हैं.
वो जब अपने शिकार को चिन्हित कर लेता है तब वह पहले छुपते छुपाते हुए उसके करीब पहुंचता है और फिर छलांग लगाने से पहले बदन को कड़ा कर के, पंजो से नाख़ून निकाल कर, जमीन में धंसा देता है.
जब बाघ इस स्थिति में होता है तब वह परिणाम के बारे में सोचना बन्द कर देता है.
बस यह भाषण मुझे यही दृश्य दिखा रहा है.
आप भी देखिये लोकसभा में मोदीजी के भाषण से उनके कुछ विशेष हावभाव.
https://www.youtube.com/watch?v=4WVawhZ3hCQ