चीनी सीमा तक पहुंचेगी भारतीय रेल, अरुणाचल के तवांग तक बिछेगा रेल नेटवर्क

फरवरी 2015 में अरुणाचल के नाहरलागुन से दिल्ली के लिए पहली एक्सप्रेस ट्रेन को हरी झंडी दिखाते प्रधानमंत्री

नई दिल्ली. भारत-चीन सीमा पर बसे अरुणाचल प्रदेश के तवांग तक रेल नेटवर्क बिछाने के लिए उत्तर-पूर्व सीमांत रेलवे (NFR) ने योजना तैयार कर ली है. इस पर सर्वे का काम 2018 में शुरू होने जा रहा है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ सामरिक महत्व की तीन रेलवे लाइन्स फिलहाल प्रस्तावित हैं. इनमें से एक अरुणाचल के भालुकपुंग से तवांग के बीच, दूसरी असम के मुर्कोंगसेलेक से लेकर अरुणाचल के पासीघाट के बीच और तीसरी असम के ही सिलापाथर से अरुणाचल स्थित बाने के बीच बिछाई जाएगी.

समझा जाता है कि चीन से लगी अरुणाचल प्रदेश की सीमा और सीमा पार हो रही गतिविधियों के मद्देनजर भारत ने भी इस दिशा में काम करने का मन बनाया है. सीमा की सुरक्षा सुनिश्चित करने और राज्‍य के लोगों की सुविधा को देखते हुए सरकार ने तवांग तक रेल नेटवर्क तैयार करने का ब्‍लू प्रिंट तैयार किया है.

तवांग समुद्रतल से 10 हजार फुट की ऊंचाई पर बसा हुआ है. यह चीन से सटी भारतीय सीमा के पास है. गौरतलब है कि सीमा से लगे इलाकों में चीन लंबे समय से सड़क, हाइवे और रेल सेवा जैसी बुनियादी सुविधाएं मजबूत करने में लगा है.

केंद्रीय रेल राज्य मंत्री राजन गोहेन ने कहा कि रक्षा मंत्रालय के साथ मिलकर हम सीमा तक रेल नेटवर्क के विस्तार की तैयार कर रहे हैं. तीन नई रेलवे लाइनों के लिए हमने सर्वे करने शुरू कर दिया है. ये तीन रेल लाइनें भालुकपुंग से तवांग, सिलापाथर से बामा और मुर्कोंगसेलेक से पासीघाट होते हुए रूपई तक हैं. इसके बाद इनका भी विस्‍तार किया जाएगा.

गोहेन ने कहा कि असम के पास स्थित मजूली नदीद्वीप तक रेल संपर्क ले जाने की संभावनाओं को तलाशने के लिए भी इस बजट में प्रावधान किया गया था. गोहेन ने बताया कि 100 किलोमीटर लंबी एक रेल लाइन मजूली के कमलाबरी और गरमूर को धाकुखाना वाया जोरहाट से गोगामुख तक जोड़ेगी.

रेलवे इस परियोजना के जरिए पूरे अरुणाचल प्रदेश को ही रेल नेटवर्क से जोड़ने की तैयारी में है. 1 फरवरी को पेश किए गए आम बजट में डूमडूमा से सिमालगुड़ी, नामसाइ औक चौउखाम होते हुए वाकरो (96 किमी), डांगरी से रोइंग (60 किमी), लेखापानी से नामपोंग (75 किमी) लाइनों का सर्वे किया जाएगा.

इसके अलावा तिनसुकिया से पासीघाट तक 300 किलोमीटर लंबा ट्रैक बनेगा. चीन अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा जताता रहा है. ऐसे में भारत की ओर से अरुणाचल में रेल ढांचा मजबूत करना रणनीतिक और सामरिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है.

इस प्रॉजेक्ट की अनुमानित लागत 50 हजार करोड़ से 70 हजार करोड़ रुपये तक आंकी गई है. राजधानी ईटानगर से 10 किलोमीटर की दूरी पर बसा हुआ नाहरलागुन अरुणाचल की पहली ऐसी जगह थी जहां साल 2014 में रेलवे पहुंची थी.

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