वाशिंगटन. भारत के पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनावों के ख़त्म होने की देश में ही नहीं बल्कि पाकिस्तान में भी आतुरता से प्रतीक्षा हो रही है. पाकिस्तान को उम्मीद है कि इन चुनावों के बाद शांति वार्ताओं के लिए माहौल बेहतर होगा. यह बात पाकिस्तान के एक वरिष्ठ मंत्री ने कही.
पाकिस्तान के नियोजन एवं विकास मंत्री प्रोफ़ेसर अहसान इकबाल ने यहां एक सभा में कहा, ‘हम उम्मीद कर रहे हैं कि मार्च तक राज्यों में हो रहे चुनाव पूरे हो जाएंगे और तब संभवत: भारत के साथ शांति वार्ता करने के लिहाज से बेहतर माहौल होगा. लेकिन हम पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं.’
अमेरिका के एक शीर्ष थिंक टैंक यूएस इंस्टीट्यूट ऑफ पीस में एक सवाल के जवाब में इकबाल ने कहा कि पाकिस्तान भारत के विधानसभा चुनावों में एक चुनावी मुद्दा है.
इकबाल ने कहा, ‘यह दुर्भाग्य की बात है कि वे चुनावी चक्र में इतने कड़े रूख अख्तियार कर रहे हैं. मुझे लगता है कि हमें इससे परे जाकर सोचना चाहिए. भारत और पाकिस्तान को एकसाथ रहना है, हम अपनी भौगोलिक स्थिति नहीं बदल सकते और अब हमें शांति की दिशा में सोचना चाहिए.’ उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ क्षेत्र में शांति के एक प्रबल पैरोकार हैं.
उन्होंने कहा, ‘हमने अफगानिस्तान और भारत के साथ सक्रिय तौर पर शांति स्थापित करने की कोशिश की है और हम ऐसा करना जारी रखे हुए हैं क्योंकि हमारा मानना है कि हमारा विकास क्षेत्र में शांति पर निर्भर करता है.’
इकबाल ने कहा, ‘मुझे वर्ष 1993 के बाद का ऐसा कोई चुनाव याद नहीं है, जिसमें किसी भी नेतृत्व ने चुनाव में अतिरिक्त वोट पाने के लिए भारत को भला-बुरा कहा हो. मेरे कहने का अर्थ है कि हमारे चुनावों में भारत प्रभावित नहीं होता, कोई भी भारत के बारे में नहीं बोलता, कोई भारत पर निशाना नहीं साधता.’
उन्होंने कहा, ‘लेकिन हमें लगता है कि भारत में चुनावी समीकरण पाकिस्तान को निशाने पर लेने के प्रति काफी संवेदनशील है. जब कभी भारत में चुनाव होते हैं, सरकार पाकिस्तान के प्रति द्वेषपूर्ण रूख अपनाती है.’ उन्होंने कहा कि इन चुनावों के बाद भारत के साथ शांति वार्ता करने के लिहाज से एक बेहतर माहौल होगा.
इकबाल ने एक सवाल के जवाब में आरोप लगाया कि 46 अरब डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के प्रति भारत की प्रतिक्रिया ‘बिना सोचे-समझे दी गई प्रतिक्रिया’ है. उन्होंने कहा कि भारत को सीपीईसी के साथ अवसरों की ओर बढ़ते क्षेत्रीय सहयोग के तौर पर देखना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘इसलिए सीपीईसी का विरोध करने के बजाय उसे सीपीईसी में शामिल होना चाहिए और विभिन्न अवसरों पर गौर करना चाहिए.’ उन्होंने कहा कि सीपीईसी भारत को चीन के अधिकांश हिस्से के साथ व्यापार के लिए सबसे छोटा रास्ता उपलब्ध करवाएगा.
इकबाल ने कहा, ‘यदि आप सीपीईसी के रास्ते व्यापार करते हैं तो आप इस क्षेत्र से चीन में किसी भी स्थान तक पहुंच सकते हैं. इसलिए हम बेहद आशांवित हैं और भारत के साथ हमारे संबंधों को सामान्य करने के लिए लगातार काम कर रहे हैं.’