ऐसा महसूस किया जाता है कि महिलाओं की प्रतिभा को अक्सर नृत्य, गायन, प्रेम-कविताई, पाक कला या आंतरिक सुसज्जा तक ही सीमित रखा जाता है. जब बात आती है शोध, चिन्तन और बोध की तो महिलाओं को हमेशा दोयम दर्जे का समझा जाता है.
पर्यावरण संरक्षण को समर्पित गैरसरकारी स्वयंसेवी संगठन ‘ग्रीन अर्थ’ ने ‘संकल्पित फाउंडेशन’ और ‘संकल्प’ संस्थाओं के सहयोग से देश भर की महिलाओं को मंच देने के लिए एक देशव्यापी मुहिम शुरू की है. यह मुहिम उन स्त्रियों को सामने लाने की है जिनके चिंतन और समझ को सराहा ही नहीं गया. जो अपनी प्रकृति को समझती हैं, उसके दुख-सुख का अनुभव करती हैं और कलम की ताकत से उसके लिए कुछ कर गुजरने का हौसला भी रखती हैं.
हम देश भर की महिलाओं से ‘पर्यावरण संरक्षण’ और ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ विषयों पर उनकी कविताएं आमंत्रित करते हैं. आप दोनों में से किसी भी विषय पर या दोनों विषयों पर अपनी कविताएं भेज सकती हैं.
आप अपनी कविताएं इस ईमेल पते पर ऑनलाइन भेज सकते हैं – poetry4env.beti@gmail.com. कविताएं भेजने की अंतिम तिथि 15 फ़रवरी है. निर्णायक-मंडल द्वारा दोनों विषयों की 50-50 बेहतरीन कविताओं को चुना जाएगा और हम उनका एक साझा संकलन प्रकाशित करेंगे.
दोनों वर्गों की तीन-तीन सर्वश्रेष्ठ कविताओं को नकद पुरस्कार प्रदान किया जाएगा. सभी प्रतिभागियों को प्रशंसा प्रमाण-पत्र और कविता संकलन की प्रतियां दी जाएंगी. यह तमाम प्रक्रिया आपके लिए निःशुल्क है.
सम्मान-समारोह का आयोजन मार्च महीने के तीसरे सप्ताह में होगा जिसकी सूचना बाद में दी जाएगी. संकलन का लोकार्पण किसी अंतराष्ट्रीय स्तर के व्यक्तित्व द्वारा करवाया जाएगा. इसमें महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से भी सहयोग की उम्मीद है. निर्णायक-मंडल के सदस्यों के नाम निम्नलिखित हैं :
1 / डॉ शमीम शर्मा, सुप्रसिद्ध प्रशासक, वक्ता एवं लेखिका
2 / गीता श्री, सुप्रसिद्ध कथाकार एवं यशस्वी स्त्रीवादी पत्रकार
3 / डॉ राज रूप फुलिया, कुशल प्रशासक एवं शिक्षाविद Retd Add. Chief Secretary Haryana
4 / राधा मेहता, प्रख्यात पर्यावरणविद लेखिका
5 / ध्रुव गुप्त, सुप्रसिद्ध कवि-कथाकार-लेखक Retd. IG, IPS
आप सभी मित्रों से अनुरोध है कि इस पोस्ट को शेयर कर ज्यादा से ज्यादा महिलाओं तक पहुंचाने में सहयोग करें ताकि इस अनूठे आयोजन में देश भर की जागरूक और रचनाशील महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जा सके !
– मोनिका भारद्वाज (8950292038)
आदरणीय गुणीजन….सादर नमन
एक कोशिश मेरी….”बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ”
:- ” पढ़े-लिखे व अनपढ़ का ये फर्क देख हैरान हूँ”
पढ़े-लिखे ने बेटी को कोख में ही मरवाया है…
…….और……
अनपढ़ ने जन्म के बाद बेटी को झाड़ियों में फिकवाया है….
:- कैसे समझायें ये सोच के दिल घबराता है….
……..कि कैसे…….
इतने प्यारे एहसास को ज़िन्दा दफ़नाया जाता है….
:- कन्यादान को सबसे बड़ा पुण्य मानते हो…..
…….पर……
उसी बेटी को विघादान देने से घबरा जाते हो….
:- बेटे को ज़िन्दा रहने देते है…..
….क्योकिं…..
बेटा चिता को आग देता है….
बेटी को मार देते हैं……
…..क्योकि…..
वो ज़िन्दा माँ-बाप का दर्द समझती है…..
:- बेटे आसूँ देते है….
बहु आ जाये तो घर से निकाल देते है….
….पर वही बहू…..
अपने माँ-बाप को घर ले आती है…..
….अपने भाई से…..
यह कहती है कि उनकी बेटी ज़िन्दा है….
……अब क्या सोच रहे……
कि बेटे को ज़िन्दगी की आस समझा….
……वो तो किसी और का हो गया…..
सोचो कि काश होती आज बेटी तो…..
……तुम अकेले ना होते………
कल क्यूँ मारा बेटी को कोख में ये सोच…..
……आज सुबक-सुबक ना रोते……
अब तो ज़िन्दगी के आईनें बदलों….
……बेटा-बेटी है एक …..
सबको अपना बराबर हक दों……
©गुुरविन्दर टूटेजा
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