वसन्त पंचमी … वसंत ऋतु का पांचवां दिन…..
VIBGYOR का पांचवां रंग… पीला
तपते पीले सूरज की पांचवी किरण को पंच तत्व में घोलकर आज मैंने पंचामृत बनाया है….
और पांच दिशाओं में पांच लोगों को भोग लगाया है…
पहला भोग मेरी प्रथम माँ को जो मेरे इस धरती पर आने के लिए प्रवेश द्वार है….
दूसरा भोग मेरी दूसरी माँ … इस धरती माँ को जिस पर पाँव रख कर भी उसकी नज़र में पवित्र हूँ मैं …
तीसरा भोग मेरी मानस माँ अमृता प्रीतम को जिसने मुझे किसी भी परिस्थिति में अकेला नहीं छोड़ा…
चौथा भोग अपने अन्दर की माँ को…….. जिसने केवल प्रतीक्षा को जन्म दिया………..
और पांचवा भोग सरस्वती माँ को … जो विद्या का पहला पाठ पढ़ाकर हाथ में कलम थमा कर चली जा रही है… कहकर कि जीवन के बाकी के पाठ तुम्हें बाकी की चार माँएं पढ़ाएंगी….
और मैं पुकारती रह जाती हूँ…. ओ बसन्ती पवन पागल….. ना जा रे ना जा रोको कोई………….
– वासन्ती शैफाली