पद्मश्री से सम्मानित पुरातत्वविद अरुण शर्मा थे ‘राम जन्मभूमि’ प्रकरण के मुख्य गवाह

padmashri arun kumar sharma-making india

इस बार के पद्म पुरस्कार कई मायनों में अनोखे हैं. निश्चय ही सम्मान इस बार खुद चल कर सम्मानितों तक पहुचा है.

इसी बुधवार को रायपुर के अरुण कुमार शर्मा के पास दिल्ली से एक फोन आया कि उन्हें पद्मश्री सम्मान दिए जाने का निर्णय लिया गया है.

हर तरह की चकाचौंध से दूर पुरातत्व के अपने काम में जुटे रहने वाले अरुण जी का एक परिचय यह भी है कि उन्होंने ‘राम जन्म भूमि-बाबरी मजिस्द’ प्रकरण में इलाहबाद उच्च न्यायालय में मुख्य गवाह की भूमिका का निर्वहन किया.

‘विवादित स्थल’ पर कोर्ट ने राम जन्मभूमि का होना माना, इसमें श्री शर्मा की गवाही काफी महत्वपूर्ण रही थी.

इन्होने ही अकाट्य साक्ष्यों, तर्कों और तथ्यों के साथ कोर्ट को यह बताया था कि ‘स्थल’ कभी मस्जिद था ही नहीं, वहां पर हिन्दू मंदिर होने के पर्याप्त प्रमाण हैं.

मूर्धन्य पुरातत्वविद, इतिहासवेत्ता, जनजातीय भाषाविद् तथा लोक संस्कृति के विशेषज्ञ श्री शर्मा ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण में अनेक पदों पर अपनी सेवायें दी.

सेवानिवृत्ति के बाद अब वे अपने गृह प्रदेश छत्तीसगढ़ में शासन के सलाहकार के रूप में अवैतनिक सेवा दे रहे हैं.

श्री शर्मा के निर्देशन में ही अनेक सफल उत्खनन के द्वारा छत्तीसगढ़ की समृद्ध विरासत, इसकी अनेक पुरा संपदाओं का सामने आना संभव हुआ है.

प्रदेश का सिरपुर, जहां चीनी यात्री ह्वेन सांग का आगमन भी हुआ था, वहां भी श्री शर्मा की अगुवाई में हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्मों से संबंधित अनेक तथ्य प्राप्त किये गए हैं.

पुरातत्व एवं सम्बंधित विषयों पर 35 पुस्तकें भी लिख चुके श्री अरुण शर्मा को अशेष बधाई. खूब शुभ कामना.

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