शरद यादव ने कहा : बेटी और वोट में कोई फर्क नहीं, बहुत सोच समझ कर देना, बेटी/वोट गलत जगह दिया तो इज्जत गयी समझो.
यह बात शरद बाबू ने तब कही जब वे उत्तर प्रदेश चुनावों में गठबंधन पर कांग्रेस पर बरस रहे थे.
कुंदनवा कहिता है : बे बबवा! दुनिया चाहे लाख गलत मतलब निकाले बयान में, लेकिन हमें बयान में तोड़-मरोड़ नहीं करना, हम बस दो बात पूछेंगे!
पहला, का शरद बाबू यूपी के वोटर को ई मैसेज दे रहे हैं कि कांग्रेस को वोट कत्तई न देना जो इस चुनाव में बिना मतलब राजनीति में आये बेटा, और बिना मतलब राजनीति से बाहर बेटी को ले के उतर रही है, मैदान में एक तीसरे बिगड़े बेटे के साथ?
दूसरा, क्या शरद बाबू के मुताबिक बिहार के मतदाता ने उन्हें, उनकी और लालू यादव की पार्टी को अपनी बेटी दी है बीते चुनावों में? और अगर नितीश जी को वोट दिया तो क्या बिहार ने अपनी इज्जत दे दी?
[राजनैतिक विक्षिप्तता की मिसाल है शरद यादव का ‘बेटी की इज्ज़त’ वाला बयान]
बेटा कुंदन! बहुत सवाल छौंक रहे हो, यूपी में स्टार प्रचारक की लिस्ट से गायब विनय कटियार ने प्रियंका जी को जो कहा उसपे कुच्छओ बोलोगे?
डियर बकलोल पंडी! कटियार ने जब कहा कि ‘प्रियंका जी के चुनाव प्रचार में आने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि उनसे सुंदर बहुत सी फ़िल्मी कलाकार भी राजनीति और प्रचार में हैं’… तो वे महज प्रियंका वाड्रा जी की सुंदरता की बात कह रहे थे और उसके लिए फिल्म तारिका की उपमा इस्तेमाल किया.
इसका भी एक लॉजिक है.
लॉजिक ये है कि प्रियंका जी न सांसद हैं, न विधायक, न पार्टी में कोई पद, न संगठन की कोई जिम्मेदारी.
तो अपनी एक मात्र उपलब्धि, गांधी परिवार की बेटी और वाड्रा परिवार की सुंदर महिला के तौर पर ही तो कांग्रेस की स्टार प्रचारक हैं?
और कोई उपलब्धि हो तो बताओ! किसी को सुंदर कहना अगर गलत बात हो तो भी बताओ?
तुम्हे बेटी……. सॉरी! वोट की कसम बेटा कुंदन! अब राजनीति में उतरी हैं तो सुंदर-खराब देखना ही है, शांत हो जाओ.